Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट द्वारा की याचिका पर शासन-प्रशासन की बुलडोजर नीति पर पुन: रोक बढ़ाए जाने का जमीयत उलेमा-ए-हिंद के दोनों गुटों ने एक बार फिर स्वागत किया है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद (ए) गुट के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी और जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एम) के दूसरे गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि मुल्क में बुलडोजर सांप्रदायिक अन्याय का प्रतीक बन गया है।
मंगलवार को उत्तरी दिल्ली को लेकर जमीयत की याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहा कि सजा के तौर पर किसी भी व्यक्ति के घर को गिराने की अनुमति नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट की सलाह पर मौलाना महमूद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट के बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने के फैसले का स्वागत किया। कहा कि देश में एक विशेष संप्रदाय के लिए बुलडोजर को न्याय का प्रतीक बनाया जा रहा है। कहा कि इस तरह का वातावरण न्यायिक प्रक्रिया का अपमान ही नहीं बल्कि संवैधानिक अधिकारों का भी उल्लंघन है।
वहीं दूसरे गुट के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को अब तल्ख टिप्पणी करने को मजबूर होना पड़ा कि धर्म के आधार पर किसी के साथ भी धर्म के आधार पर दुर्व्यवहार और अत्याचार नहीं होना चाहिए। क्योंकि भारत धर्मनिरपेक्ष देश है। इसलिए धर्म के आधार पर किसी के साथ भी अत्याचार नहीं किया जा सकता। मौलाना मदनी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को भी वहां बस्तियां उजाड़ने पर नोटिस भेजा है। कहा कि उन्हें यकीन है कि वहां का फैसला भी बिना भेदभाव के होगा।