Why is Papaya Wrapped in Paper: फलों का सेवन सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. यही वजह है कि अधिकतर लोग फ्रूट्स का जमकर सेवन करते हैं. फल खरीदते वक्त आपने देखा होगा कि फ्रूट्स को पेटियों में कागज में लपेटकर रखा जाता है. कई फल विक्रेता तो अपनी दुकान में भी फलों को न्यूजपेपर में लपेटकर रख लेते हैं. अक्सर ऐसा पपीता और आम के साथ करते हुए देखा जा सकता है. सिर्फ आम और पपीता ही नहीं, बल्कि अधिकतर फलों के साथ ऐसा ही किया जाता है. अब सवाल है कि फलों का कागज में लपेटकर क्यों रखा जाता है?
साइंस बडीज की रिपोर्ट के मुताबिक फलों को कागज में लपेटने के पीछे कई कारण होते हैं. फलों को कागज में इसलिए लपेटा जाता है, ताकि फल ताजा बने रहें. कुछ फलों में एथिलीन गैस होती है, जो उन्हें पकने में मदद करती है. कागज के लपेटने से फलों से निकलने वाली गैस कंट्रोल होती हैं और इससे फल लंबे समय तक ताजे रह सकते हैं. कागज फलों में नमी बनाए रखने में भी मदद करता है, जिससे वे सूखते नहीं हैं. कई फल कच्चे ही तोड़कर कागज में लपेट दिए जाते हैं, ताकि वे सही तरीके से जल्दी पक जाएं. कई फलों को पकाने के लिए इन्हें कागज से लपेट दिया जाता है.
फल अक्सर नाजुक होते हैं और पैक करते समय उनके आसपास कागज न लगाया जाए, तो वे पेटी से टकरा सकते हैं और खराब हो सकते हैं. कागज फलों को सुरक्षा प्रदान करता है, जिससे फल ठोकरों और झटकों से सुरक्षित रहते हैं. इससे फलों के फटने की संभावना कम होती है, जिससे उनकी क्वालिटी अच्छी बनी रहती है. फलों को कागज में लपेटकर लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है. जब फल कागज में लिपटे होते हैं, तो उन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाना भी आसान होता है. इस दौरान फलों का टेंपरेचर और ह्यूमिडिटी स्टेबल रहती है, जिससे फल खराब नहीं होते हैं.
आपको जानकर हैरानी होगी कि फलों को कागज से लपेटने की एक दिलचस्प वजह भी होती है. कागज में लिपटे फल बाजार में अधिक आकर्षक लगते हैं. इस तरह के फलों को लोग ज्यादा पसंद करते हैं और उन्हें खरीदते हैं. इससे फल विक्रेताओं की सेल ज्यादा होती है. इस तरह कागज का उपयोग न केवल सुरक्षा के लिए बल्कि बिक्री को बढ़ाने के लिए भी किया जाता है. कागज का उपयोग प्लास्टिक की अपेक्षा ज्यादा सेफ है. कागज बायोडिग्रेडेबल होता है, जबकि प्लास्टिक की पैकेजिंग पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है. फलों को कागज में लपेटने से न केवल उनकी गुणवत्ता और ताजगी बढ़ती है, बल्कि यह एक स्थायी और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प भी है.
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FIRST PUBLISHED : October 1, 2024, 10:54 IST