योगी सरकार के पहले कार्यकाल में उत्तर प्रदेश के डिप्टी CM रहे और मौजूदा समय में BJP के राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा से लाइव हिन्दुस्तान संवाददाता शिवम् भट्ट ने EXCLUSIVE बातचीत की। दिनेश शर्मा ने लखनऊ और पूर्व प्रधानमंत्री अटल से अपने रिश्तों से लेकर देश के तमाम मुद्दों पर खुलकर बात की। हाल के दिनों में बढ़ी पेपर लीक की घटनाओं और खबरों के पीछे उन्होंने अपनी वजह बताई, तो नरेंद्र मोदी को दैवीय गुणों से परिपूर्ण शख्सियत बताया है। पेश हैं इस बातचीत के कुछ अंश…
स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई को अगर आपका राजनीतिक गुरु कहा जाए तो गलत नहीं होगा, उनकी ऐसी कौन सी स्मृतियां जो आप आज भी याद करते हैं?
मैं विवाह नहीं कर रहा था, तो मेरे पिताजी कहते थे ये अटलवंशी है। अटलजी को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने कहा अटल होना आसान है, अटलवंशी होना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि तुम शादी करो, मैं शादी में आऊंगा। उनसे जुड़े इतने संस्मरण है कि एक पूरी किताब लिखने बैठूं तो कम पड़ेगी।
बतौर डिप्टी CM आपको योगी आदित्यनाथ के साथ बेहद करीब से काम करने का मौका मिला, CM योगी के वर्क कल्चर के बारे में कुछ बताइए?
योगी जी जैसा परिश्रमी राजनेता मिलना मुश्किल है। उनकी तुलना मोदीजी से नहीं की जा सकती, क्योंकि मोदी जी को मैं राजनेताओं में नहीं गिनता, उनमें अलग दैवीय गुणों का समावेश है। UP के संदर्भ में बात करें तो योगी जैसा कोई नहीं।
आप 5 साल UP के उच्च और माध्यमिक शिक्षा मंत्री रहे। इन 5 सालों में आपके मुताबिक प्रदेश में उच्च शिक्षा में ऐसी कौन सी चीजे हैं जो सही नहीं थीं या जिन्हें आप कुछ हद तक सही कर पाए?
नकलविहीन परीक्षा कराना मेरी पहली प्राथमिकता था। तकनीक के माध्यम से मैं ऐसा करवा पाने में कामयाब रहा। 1947 से चले आ रहे पाठ्यक्रम को हमने बदला और ढाई महीने चलने वाली परीक्षाओं को हमने 12-14 दिन में करवाया। नई शिक्षा नीति बनने से पहले हमने उससे जुड़े सुधार प्रदेश में लागू कर दिए थे।
पेपर लीक बहुत बड़ी समस्या है। कई प्रयासों के बाद भी इन घटनाओं पर रोक नहीं लग सकी है। सिर्फ 2017 से अभी तक दर्जन भर एग्जाम ऐसे होंगे जिनमें पेपर लीक हुआ। आपको क्या लगता है, सरकार से कहां और किस स्तर पर चूक हो जाती है?
2017 से 2022 के बीच UP में एक भी शैक्षिक पेपर लीक नहीं हुआ। बात करें कॉम्पिटिटिव एग्जाम की, तो योगीजी ने पेपर लीक को लेकर इतनी सख्ती की इसलिए ये मामले खुल रहे हैं। पहले संगठित गिरोह के माध्यम से पेपर लीक होते थे, मगर उसकी चर्चा नहीं होती थी। अब जितनी पारदर्शिता से प्रदेश में परीक्षाएं हो रही हैं, पहले कभी नहीं हुईं।
आप संसदीय राजभाषा समिति की उप समिति के संयोजक हैं। दक्षिण भारत में हिंदी को लेकर जो इतनी कड़वाहट है, कई बार हिंदी भाषी लोगों कोटारगेट किया जाता है। इसके मूल में क्या वजह हो सकती है? कैसे इसे कम किया जा सकते है?
दक्षिण भारत में हिंदी को लेकर जो भाव था, उसमें काफी परिवर्तन आया है। लोग स्वतः हिंदी बोलने लगे हैं। नई शिक्षा नीति से इसमें और सुधार होगा। बीजेपी सरकार और मोदीजी का प्रयास यही है कि सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान हो, कुछ भी थोपा ना जाए।
दिल्ली में नेतृत्व परिवर्तन हुआ है। केजरीवाल ने कहा है कि जब जनता चुनाव जिताकर मुझे ईमानदारी का सर्टिफिकेट देगी तभी मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठूंगा। इस पर आपकी राय?
ईमानदारी का सर्टिफिकेट देना जनता नहीं, अदालत का काम है। शराब कांड के बाद जब ये जेल में थे उसी समय लोकसभा चुनाव हुए, दिल्ली की जनता ने सात में से एक भी सीट इनको नहीं दी। CM पद से इस्तीफा देना केजरीवाल की मजबूरी था। केजरीवाल के साइन करने, ऑफिस तक जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई थी। केजरीवाल को तो जेल से इस्तीफा देना चाहिए था, मगर उनमें कुर्सी का लालच है।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के अमेरिका में आरक्षण पर दिए बयान पर काफी विवाद हुआ। उनका कहना है कि उनके बयान को गलत संदर्भ में लिया गया।
जो मन में होता है वो मुंह पर होता है। नेहरू जी और इंदिरा जी भी आरक्षण को अभिशाप और जहर बोलते थे। कांग्रेस ने देखा कि बीजेपी ने OBC प्रधानमंत्री दिया, पहला आदिवासी राष्ट्रपति दिया…तो उनको लगा कि जो वह जातिवाद का हौवा दिखाते थे उससे लोग मुक्त हो रहे हैं। तो उनको लगा कि OBC प्रधानमंत्री को हटाओ, उसके लिए उन्होंने गेम शुरू किया…लोकसभा में 8500 रुपये देना कांग्रेस का शिगूफा था, असल में ये लोग OBC प्रधानमंत्री को हटाना चाहते थे। कर्नाटक में खटाखट, चटाफट का क्या हुआ? हिमाचल में ओल्ड पेंशन लागू करने का वादा किया था, वहां वेतन नहीं दे पा रहे।
2024 में भाजपा से कहां कमी रह गई या कहां विपक्ष ज्यादा कामयाब हो गया? कैसे बनारस-अयोध्या जैसी मजबूत सीटों पर चैलेंज का सामना करना पड़ा और अयोध्या में हार तक मिली?
UP में 2022 की अपेक्षा भाजपा का वोट प्रतिशत 2024 में बढ़ा। ऐसे में यह कहना कि मोदीजी की लोकप्रियता में कमी आ गई, सही नहीं होगा। राजनीति में पोलराइजेशन की वजह से कई बार वोट कट जाते हैं और नुकसान उठाना पड़ता है।
PDA गठबंधन से बीजेपी को नुकसान हुआ?
PDA गठबंधन की तो पोल खुल गई। OBC महिला और नाबालिग से इन्होंने दुर्व्यवहार किया। सपा के ऐसे विधायकों के खिलाफ पार्टी ने कोई कार्रवाई नहीं की। इनके PDA के शिगूफे की पोल खुल गई, लोग जान गए हैं कि ये लोग सिर्फ जाति के नाम पर वोट लेना जानते हैं।
हाल ही में अखिलेश यादव और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच काफी तीखी बयानबाजी हुई, क्या वजह है इतनी कड़वाहट की?
योगीजी ने भी PM मोदी की तरफ एक भी अवकाश नहीं लिया है। वह 24 घंटे अपना काम करते हैं। असल में योगी जी का नाम बड़ा है। चर्चा में आने के लिए लोग उन पर कटाक्ष करते हैं।
ऐसी कौन सी सीट थी जिस पर किसी की जीत या किसी की हार ने आपको सबसे ज्यादा व्यथित किया?
अयोध्या सीट हारने का दुख आज भी है। अयोध्या हमारी परंपरागत सीट थी। वहां जाति के नाम पर ध्रुवीकरण हुआ। ये भारत के लोकतंत्र के लिए दुखद था।
हरियाणा में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही अपने संकल्प पत्र में काफी कुछ मुफ्त देने का वादा किया है। दूसरी पार्टियां मुफ्त देने का वादा करती हैं, तो भाजपा निशाना बनाती है। भाजपा भी तो Freebies देने का वादा कर रही है?
दीनदयाल का विचार, मोदीजी का विचार है। इस विचार में मुख्य तौर पर चार जातियों के उन्नयन की बात की गई। ये चार जातियां हैं- महिला, किसान, युवा और गरीब। आवास, शौचालय, किसान सम्मान से लेकर तमाम योजनाएं इन्हीं 4 जातियों के इर्द-गिर्द हैं। यही वजह है कि 5 साल में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ गए।
जब यही काम और सरकारें करती हैं, जब दिल्ली में मुफ्त बिजली, पानी, बस राइड दी जाती है तो भाजपा विरोध करती है, कैसे भाजपा की दी हुई मुफ्त चीज सही है बाकियों की गलत?
मोदीजी और केजरीवाल के फ्री बिजली देने में अंतर है। मोदीजी सोलर के लिए सब्सिडी देकर लोगों का बोझ हल्का कर रहे। केजरीवाल ने फ्री बिजली दी तो बिजली कंपनियां घाटे में चली गईं।
हाल में योगी सरकार के अंदर अनबन की कई खबरें आईं, कहा गया कि केंद्रीय नेतृत्व CM योगी से नाराज है या प्रदेश सरकार में ही अंदरूनी खटपट है। आपको क्या लगता है कि यह सिर्फ अफवाहबाजी थी? या कहीं कोई नाराजगी जैसा कुछ था?
विपक्ष इस समय बेरोजगार है। खाली दिमाग शैतान का घर है। योगी सरकार में अनबन की खबरें विपक्ष के प्रोपगैंडा का हिस्सा हैं। प्रदेश सरकार में योगीजी, केशव जी, प्रदेश अध्यक्ष सब एक-दूसरे के पूरक हैं।