बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री गुरुवार भोर में काशी पहुंचे। उनके आने की खबर लगने पर काफी भीड़ जुट गई। इस पर बाबा घर की छत पर चढ़ गए और लोगों को वहीं से दर्शन दिया।
बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री गुरुवार भोर में काशी पहुंचे। बाबतपुर एयरपोर्ट से वह ढोरा (बड़ागांव) गांव स्थित अपने शिष्य प्रशांत शुक्ला के आवास पर पहुंचे। शुक्ला परिवार ने बाबा की आरती उतारकर उनकी आगवानी की। माला पहनाकर और शॉल ओढ़ाकर अभिनंदन किया। इसी दौरान बाबा के आने की खबर आसपास के साध ही काफी दूर तक फैल गई। देखते ही देखते शुक्ला परिवार के घर के बाहर लोगों की भीड़ जुट गई। इसकी जानकारी मिलते ही धीरेंद्र शास्त्री घर की छत पर चढ़ गए और वहीं से लोगों को दर्शन दिया और संक्षिप्त संबोधन भी किया। परिवार के आग्रह पर पास-पड़ोस के कुछ लोगों से मुलाकात भी की।
बाबा भोर में करीब पांच बजे प्रशांत शुक्ला के घर पहुंचे। परिवार वालों से मुलाकात के दौरान ही बाहर लोगों को इसकी जानकारी हुई तो धीरे धीरे भीड़ जुटने लगी। उनका दर्शन करने की इच्छा लेकर पहुंचे लोगों की काफी भीड़ जुट गई। लोग बागेश्वर बाबा के जयकारे लगाने लगे। इसी बीच शुरू हो गई बारिश के बाद भी लोग उनकी एक झलक पाने के लिए टस से मस नहीं हुए।
अत्यधिक भीड़ जुटने की सूचना पर क्षेत्रीय पुलिस बल भी मौके पर पहुंचा और मोर्चा संभाल लिया। भीड़ बढ़ती देख दोपहर करीब दो बजे धीरेंद्र शास्त्री घर की छत पर पहुंचे और वहीं से भक्तों को दर्शन दिया। सभी से बागेश्वर धाम से जुड़ने का अनुरोध किया। इसके बाद करीब तीन बजे उनका काफिला शहर के लिए रवाना हुआ। ढोरा से निकलने के बाद रास्ते मे पड़े कुआर बाजार में भी कुछ देर के लिए पूर्व ग्राम प्रधान संजय जायसवाल के आवास पर रुके। वहां से वाराणसी के सामने घाट स्थित गड़वा घाट आश्रम पहुंचे और कुछ देर वहां भी रहे। इसके बाद मिर्जापुर के सक्तेशगढ़ रवाना हो गए।
सक्तेशगढ़ आश्रम में स्वामी अड़गड़ानंद का लिया आशीर्वाद
वहीं, धीरेंद्र शास्त्री गुरुवार शाम सक्तेशगढ़ आश्रम पहुंचे। यहां उन्होंने परमहंस स्वामी अड़गड़ानंद से आशीर्वाद लिया। स्वामीजी ने उन्हें भेंट स्वरूप धार्मिक पुस्तक ‘यथार्थ गीता’ दी। शाम पांच बजे उनके आश्रम पहुंचने पर पुलिसकर्मियों और आश्रम के गार्डों ने उन्हें प्रवचन हाल तक पहुंचाया। प्रवचन हाल में उन्होंने करीब 20 मिनट तक स्वामी अड़गड़ानंद महाराज को सुना। इसके बाद कमरे में उन्होंने स्वामी अड़गड़ानंद महाराज से लगभग 15 मिनट वार्ता की। शाम छह बजे स्वामी अड़गड़ानंद महाराज ने संत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को मुकुट पहनाकर आश्रम से विदा किया।