आगरा में ताजमहल/तेजोमहालय में सावन के महीने में जलाभिषेक करने के मामले में मुस्लिम पक्ष ने अधिवक्ता के माध्यम से पक्षकार बनने के लिए अर्जी दी। वादी के अधिवक्ता ने इस पर आपत्ति दाखिल करने को समय मांगा।
आगरा में ताजमहल/तेजोमहालय में सावन के महीने में जलाभिषेक करने के मामले में मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई हुई। वादी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने यूनियन ऑफ इंडिया के जरिए सचिव संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार को पक्षकार बनाने के लिए संशोधन प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। वहीं मुस्लिम पक्ष ने अधिवक्ता के माध्यम से पक्षकार बनने के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। वहीं वादी के अधिवक्ता ने इस पर आपत्ति दाखिल करने को समय मांगा। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए सात अक्तूबर नियत की है।
योगी यूथ बिग्रेड के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर ने 23 जुलाई को अधिवक्ता के माध्यम से वाद दायर किया। इसमें ताजमहल को तेजोमहालय मान जलाभिषेक करने को याचिका की थी। मंगलवार को दौरान सुनवाई सैयद इब्राहिम हुसैन ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से पक्षकार बनने के लिए अर्जी प्रस्तुत की। साथ ही उन्होंने कई साक्ष्य भी प्रस्तुत किए। जिस पर वादी के अधिवक्ता ने आपत्ति दाखिल करने के लिए समय मांगा। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए सात अक्तूबर नियत की है। पिछली तारीख पर कोर्ट ने एएसआई की आपत्ति को खारिजकरदियाथा।
वादी कुंवर अजय तोमर ने दावा किया है कि सन 1212 में राजा पर्मादिदेव ने आगरा में यमुना किनारे एक विशाल शिव मंदिर बनवाया। इसका ही नाम तेजोमहालय या तेजोमहल था। राजा पर्मादिदेव के बाद राजा मानसिंह ने तेजोमहालय को अपना महल बनाया। राजा मानसिंह ने तेजोमहालय मंदिर सुरक्षित रखा।
राजा मानसिंह से मुगल शहंशाह शाहजहां ने तेजोमहालय हड़प लिया। जिस पर ताजमहल का निर्माण करवाया। तेजोमहालय में शाहजहां और मुमताज की कब्र झूठ हैं। मुमताज का निधन 1631 में हुआ। जबकि, ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू हुआ। कभी भी मृत को एक साल बाद नहीं दफनाया जाता। जबकि असल में मुमताज को मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में ताप्ती नदी के किनारे दफनाया था।