यूपी की योगी सरकार ने बेहतर शहरी सुविधा देने के लिए उत्तर प्रदेश पालिका (केंद्रीयित) सेवा संवर्ग का पुनर्गठन कर दिया है। इसके आधार पर निकायों में केंद्रीयित कर्मियों के पदों की संख्या 3085 से बढ़कर 6686 हो जाएगी।
यूपी की योगी सरकार ने बेहतर शहरी सुविधा देने के लिए उत्तर प्रदेश पालिका (केंद्रीयित) सेवा संवर्ग का पुनर्गठन कर दिया है। इसके आधार पर निकायों में केंद्रीयित कर्मियों के पदों की संख्या 3085 से बढ़कर 6686 हो जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कैबिनेट बाईसर्कुलेशन इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। निकायों में कॉडर पुनर्गठन के आधार पर जल्द ही 3601 पदों पर भर्तियां होंगी।
राज्य सरकार ने नगर निगमों, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में केंद्रीयित कर्मियों को रखने के लिए वर्ष 2017 में पदों का निर्धारण किया था। उस समय प्रदेश में निकायों की संख्या 632 हुआ करती थी। प्रदेश में वर्ष 2017 के बाद तीन नगर निगम बनाने के साथ ही 117 नए निकायों का गठन किया गया है। मौजूदा समय निकायों की संख्या बढ़कर 762 हो गई है।
इसके साथ ही 124 नगर निकायों की सीमा में विस्तार किया गया है। वर्ष 2017 में निकायों के लिए तय की गई केंद्रीयित कर्मियों की संख्या कम पड़ रही थी। कर्मियों की कमी होने की वजह से शहरी लोगों को सुविधाएं देने में बाधा उत्पन्न हो रही थी। इसको ध्यान में रखते हुए निकायों में केंद्रीयित कर्मियों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया गया है। पदों की संख्या बढ़ाने से निकायों की आय में बढ़ोतरी भी होगी। वर्ष 2017-18 में निकायों की आय 2117 करोड़ थी, जो बढ़कर 3000 करोड़ से अधिक हो गई है। नगर विकास विभाग का मानना है कि कर्मियों की संख्या में वृद्धि होने से जहां लोगों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी, वहीं निकायों की आय में भी बढ़ोतरी होगी।
निकायों का मानकीकरण भी हुआ
बेहतर सुविधाएं देने के लिए निकायों का मानकीकरण भी किया गया है। नगर निगमों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। 20 लाख से अधिक आबादी वालों में आगरा, गाजियाबाद, कानपुर, प्रयागराज, लखनऊ व वाराणसी को रखा गया है। श्रेणी दो में 10 लाख से अधिक आबादी वाले नगर निगमों में मेरठ, गोरखपुर, मुरादाबाद, बरेली, अलीगढ़, मथुरा-वृंदावन और अयोध्या को रखा गया है। श्रेणी तीन में 10 लाख से कम जनसंख्या वाले नगर निगमों में शाहजहांपुर, फिरोजाबाद, झांसी व सहारनपुर को रखा गया है।
जोन भी बढ़ाए जाएंगे
शहरी सुविधाएं बढ़ाने के लिए जोन की संख्या में भी बढ़ोतरी की जाएगी। नगर निगमों में पांच लाख की जनसंख्या पर जोन गठन का प्रस्ताव है, लेकिन किसी भी नगर निगम में तीन जोन से कम नहीं होगा। पालिका परिषद को तीन श्रेणियों में बांटा गया है।
सिंकिंग फंड की राशि में बदलाव का प्रस्ताव पास
लखनऊ। प्रदेश कैबिनेट ने केंद्रीय वित्त आयोग तथा महालेखाकार उत्तर प्रदेश की संस्तुतियों के क्रम में सृजित संहत निक्षेप निधि (कंसोलिडेटेड सिंकिंग फंड) संबंधी राज्य सरकार की 2020 की अधिसूचना में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूर कर दिया है। बताया जाता है कि सिंकिंग फंड की धनराशि में वृद्धि से संबंधित यह प्रस्ताव है। यह ऐसा फंड होता है, जिसे सरकार जरूरत के मुताबिक किसी भी योजना अथवा परियोजना पर खर्च कर सकती है। बजट में सिंकिंग फंड की व्यवस्था की जाती है।
प्रदूषण रोकने को अब ग्रीन इनर्जी आधारित जनरेटर लगाने पर मिलेगी राहत
लखनऊ। प्रदेश सरकार ने प्रदूषण रोकने को अब ग्रीन इनर्जी आधारित जनरेटर लगाने पर राहत मिलेगी। उत्तर प्रदेश सूक्ष्म एवं लघु उद्योग तकनीकी उन्नयन योजना में अब ग्रीन इनर्जी आधारित जनरेटर को भी शामिल कर लिया है। इसका मकसद राज्य में उद्योगों के जरिए प्रदूषण रोकना है।
एमएसएमई विभाग के इस प्रस्ताव को मंगलवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दे दी गई। इसके तहत उद्यमियों को उत्तर प्रदेश सूक्ष्म एवं लघु उद्योग तकनीकी उन्नयन योजना में बदलाव किया गया है। अभी तक डीजल जनरेटर या पंप इस योजना में शामिल था। अब सीएनजी व ग्रीन हाईड्रोजन आधारित जनरेटर सेट लगाने पर उद्यमियों को भी तकनीकी उन्नयन योजना में लाभ मिल सकेगा।
यूपीसीडा खुद उपलब्ध करवाएगा नगरीय सुविधाएं
लखनऊ। उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) अपने 154 औद्योगिक क्षेत्रों में अब नगरीय सुविधाएं खुद उपलब्ध करवाएगा। इसमें सड़क, सीवर, सफाई, जलापूर्ति व अन्य नगरीय सेवाएं शामिल हैं। प्राधिकरण अब यहां रहने वालों से इन सेवाओं का शुल्क वसूलेगा। इसी तरह की व्यवस्था नोएडा, ग्रेटर नोएडा में पहले से है।
औद्योगिक विकास प्राधिकरण के इस प्रस्ताव को मंगलवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दे दी गई। यूपीसीडा के तहत नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना प्राधिकरण को छोड़कर सारे औद्योगिक विकास प्राधिकरण शामिल हैं। अभी तक इन प्राधिकरणों के दायरे में आने वाले जनता को दोहरा कराधान का सामना करना पड़ता था। अब इस क्षेत्र में संबंधित नगर निगम शुल्क या फीस नहीं लेंगे। केवल यूपीसीडा ही फीस वसूलेगा।
विद्यालय स्थापना के लिए मानक शिथिल किया
लखनऊ। प्रदेश सरकार ने मऊ जिले में नवीन जय प्रकाश नारायण सर्वोदय विद्यालय का निर्माण कराने के लिए मानकों में शिथिलता देने का फैसला किया है। पहले यह मानक पांच एकड़ क्षेत्रफल का था। इस संबंध में समाज कल्याण विभाग की ओर से पेश किए गए प्रस्ताव को मंगलवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दी गई।
ये विद्यालय पूर्व में राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय के नाम से जाने जाते थे। इनमें ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र के निर्धन एवं प्रतिभावान छात्रों को नि:शुल्क आवासीय शिक्षा दी जाती है। शिक्षा के साथ-साथ नि:शुल्क छात्रावास, पाठ्य पुस्तकें, यूनीफार्म एवं खेलकूद आदि की व्यवस्था भी राज्य सरकार करती है। इन विद्यालयों में 60 प्रतिशत एससी-एसटी, 25 प्रतिशत ओबीसी और 15 प्रतिशत सामान्य वर्ग के छात्रों को प्रवेश दिया जाता है। इस समय प्रदेश में 58 जिलों में 101 सर्वोदय विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है।
रामपुर विकास प्राधिकरण सीमा में 62 गांव हुए और शामिल
लखनऊ। राज्य सरकार ने रामपुर विकास प्राधिकरण का दयरा बढ़ा दिया है। इसमें 62 गांवों को शामिल किया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कैबिनेट बाईसर्कुलेशन प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
रामपुर के जिलाधिकारी ने विकास प्राधिकरण की सीमा बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव आवास एवं शहरी नियोजन विभाग को भेजा था। विकास प्राधिकरण के विकास क्षेत्र में पूर्व में शामिल रामपुर नगर पालिका परिषद और 23 राजस्व गांवों के साथ तहसील सदर के 39 नए समेत कुल 62 गांवों को शामिल किए जाने का प्रस्ताव था। शासन स्तर से परीक्षण किए जाने के बाद रामपुर विकास प्राधिकरण की सीमा में विस्तार किए जाने पर सहमती बनी थी। इसके आधार पर कैबिनेट मंजूरी के लिए प्रस्ताव भेजा गया था। मुख्यमंत्री ने इसे हरी झंडी से दी है।