पिछले कई महीने से भेड़िए के हमले को लेकर बहराइच छाया हुआ है। महसी ही नहीं अब भेड़िया का खौफ आसपास के कई जिलों में छा गया है। भेड़िए के शोर में सियार की शामत आ गई है। अब तक आधा दर्जन से अधिक सियारों को ग्रामीणों ने मौत के घाट उतार दिया है। इससे सियारों की प्रजाति नहीं बल्कि ईको सिस्टम के लिए बड़े खतरे का अंदेशा पैदा कर दिया है।
महसी का कछार भेड़िया और सियार का गढ़ माना जा रहा है। यह क्षेत्र उनके रहन व शिकार के लिए काफी मुफीद है। रेत के बीच टीले अनुकूल प्राकृत प्रवास हैं तो गन्ने के खेत छिपने व शिकार के माध्यम हैं, लेकिन मार्च से शुरू हुए उनके हमले जुलाई आते-आते इस कदर तेज हो गए कि दो माह के अंदर ही सात बच्चे सहित आठ ग्रामीणों को भेड़िए ने निवाला बना लिया है। अब तक पांच भेड़िए को पकड़ लिया गया है, लेकिन एक भेड़िया अभी भी वन विभाग की पकड़ से फरार है। इसकी तलाश में सर्च ऑपरेशन चल रहे हैं। ताबड़तोड़ हो रहे हमले ने शांत रहने वाले ग्रामीणों के भी शगल में बदलाव कर दिया है। खेत व खलिहान से निकलने वाला हर जानवर भेड़िया समझकर ग्रामीण हमलावर हो रहे हैं।
बानगी के तौर पर कई दिन पूर्व रिसिया व जरवल में भेड़िए के पहुंचने के शोर में दोनों जगह ग्रामीणों ने जिस जानवर को ढेर कर दिया, दोनों सियार निकले। ढाई माह के अंदर कई सियार ग्रामीणों का शिकार बन गए हैं। सियार का मारा जाना भी वन्यजीव विशेषज्ञों का अखर रहा है। उनका कहना है कि यह ईको सिस्टम को बेहतर रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला जीव है। जिसके मारे जाने का असर ग्रामीण क्षेत्र के प्राकृतिक परिवेश पर पड़ेगा। इस तरह के हमले करने से ग्रामीणों को बचना चाहिए।
शेड्यूल एक का वन्यजीव है सियार
डीएफओ बी शिवशंकर बताते हैं कि भेड़िया का हमला दु:खद है, लेकिन उनका क्षेत्र में रहना भी जरूरी है। ऐसे जीव उनका खाद्य पदार्थ बनते हैं, जिनसे आसपास की आबोहवा स्वच्छ रखने में मदद मिलती है। ऐसे में सियार भी संरक्षित जीव है, जो कि शेड्यूल एक का वन्यजीव है। इसकी मौत होना भी प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ सकती है।
तेंदुए को पसन्द है सियार का शिकार
बहराइच वन प्रभाग के रेंजर दीपक सिंह बताते हैं कि सियार एक तरह से किसान मित्र भी हैं, जो सर्वाधिक शिकार चूहों व मेढ़कों का करते हैं, लेकिन इनका शिकार तेंदुए करते हैं। वे बताते हैं कि इनकी मौजूदगी भी वन्यजीवों का पेट भरता है न ही तो तेंदुए व बाघ भूखे होने पर ही गांवों की ओर रुख करते हैं। कई तरह से यह प्रकृति महत्वपूर्ण जीव है।
तीन टापुओं पर शूटरों की टिकी नजरें
महसी क्षेत्र के कछार में स्थित तीन टापुओं पर गिरफ्त से बाहर चल रहे भेड़िए की तलाश में वन विभाग की नजरें गड़ी हुई हैं। पचदेवरी, कोलैला के हरबक्शपुर समेत तीन टापू हैं। यहां भेड़िए के आने की पूरी संभावना बनी हुई है। लिहाजा शूटरों संग सर्च टीम तीनों टापुओं की ओर निगरानी कर रही है। डीएफओ के मुताबिक यहां से टीम को दूर किया गया है, ताकि उसका मूवमेंट इस क्षेत्र में हो सके। इसके लिए ड्रोन का इस्तेमाल हो रहा है। पगचिह्न भी खंगाले जा रहे हैं, ताकि उसके टापू पर दस्तक देते हुए जिंदा पकड़ा जा सके। पकड़ से दूर होने पर शूटर ताबड़तोड़ गोलियां भी बरसाने में देर नहीं करेंगे।
क्या बोले अधिकारी
बहराइच वन प्रभाग के डीएफओ अजीत प्रताप सिंह ने कहा कि भेड़िया के चक्कर में ग्रामीण सियार को पीट कर मौत के घाट उतार रहे हैं। यह शेड्यूल वन का प्राणी है। ग्रामीणों को समझना होगा कि यह प्राकृतिक संतुलन को बेहतर रखने वाला जानवर है।