सोनभद्र में राबर्ट्सगंज नगर के विकास नगर कालोनी में श्रीमद्भागवत कथा महापुराण का आयोजन शुरू हुआ। कथा के पहले दिन भक्तों ने कलश यात्रा निकाली। कथावाचक कुणाल महाराज ने गौकर्ण और धुंधकारी की कथा सुनाई,…
सोनभद्र, संवाददाता। राबर्ट्सगंज नगर केविकास नगर कालोनी में कलश यात्रा के साथ श्रीमद्भागवत कथा महापुराण का आयोजन रविवार से शुरू हुआ। कथा के पहले कलश यात्रा निकाली गई। जिसमें भक्त भजनों की धुन पर नाचते हुए निकले। इस दौरान महिलाएं सिर पर कलश रखकर निकली। भक्त भी जयकारे लगाते हुए चल रहे थे। इसके बाद कलश श्रीमद्भागवत कथा के पहले दिन मर्मज्ञ कथा प्रवक्ता कुणाल महाराज ने गौकर्ण और धुंधकारी की कथा का रसपान कराया। कथावाचक ने कथा में बताया कि तुंगभद्रा नदी के तट पर आत्मदेव नामक एक व्यक्ति रहता था। उसकी पत्नी का नाम धुंधुली था। वह झगड़ालू किस्म की थी। संतान न होने के कारण पति परेशान रहता था। कथावाचक ने आगे बताया कि वह आत्मदेव दुखी मन से आत्महत्या के लिए कुआं में कूदने वाला था तभी एक ऋषि ने उसे बचा लिया। ऋषि ने पूछा क्यों आत्महत्या करने जा रहे हो। इसके बाद ऋषि की बात को सुनकर आत्मदेव ने कहा ऋषिवर मेरे एक भी संतान नहीं है। इसके अलावा मैंने गाय पाल रखी है। गाय के भी संतान नहीं है। इस कारण आत्महत्या करने का कदम उठाया। यह सुनकर ऋषि ने अपने थैले से फल निकालकर कहा कि तुम यह फल अपनी पत्नी को खिला देना, इससे एक संतान की प्राप्ति होगी। घर जाकर आत्मदेव ने फल अपनी पत्नी को दिया, लेकिन पत्नी ने सोचा कि अगर गर्भवती वो गई तो नौ महीने तक कहीं आने-जाने का मौका नहीं मिलेगा। अंतत: उसने फल को नहीं खाया। एक दिन उसकी बहन घर आई। उसने सभी किस्सा बहन को सुनाया। बहन ने कहा मैं गर्भवती हूं। प्रसव होने पर बच्चा तुम्हें दे दूंगी। तुम ये फल गाय को खिला दो। आत्मदेव की पत्नी ने अपनी बहन की बात में आकर फल गाय को खिला दिया। कुछ दिन के बाद धुंधुली को उसकी बहन ने बच्चा दे दिया। इसके बाद संतान को देखकर आत्मदेव बड़ा खुश हुआ। बच्चे का नाम एक विद्वान पंडित ने धुंधकारी रख दिया। इसके बाद गाय ने भी एक बच्चे को जन्म दिया जो मनुष्याकार था पर उसके कान गाय के समान थे। उसका नाम गोकर्ण रख दिया।
महाराज ने आगे बताया कि गोकर्ण और धुंधकारी दोनों गुरुकुल गए। गुरुकुल में अपना कार्य खुद करना पड़ता है। इस बीच धुंधकारी नशेड़ी, चोर निकल गया। एक दिन उसने अपनी माता को मार डाला। पिता व्यथित होकर वन चले गए। धुंधकारी वेश्याओं के साथ रहने लगा। वेश्याओं ने एक दिन धुंधकारी को मार डाला। इस मौके पर पं. राहुल पांडेय, मुख्य आयोजक अनंत राम वर्मा, मुख्य यजमान मालती देवी, मंजूसा वर्मा, मीनू, विनीता, संगीता, रेनू, मीना सिंह, मोनी वर्मा, पीतांबर प्रताप सिंह, सुरेन्द्र जायसवाल, अरुण प्रताप सिंह, गोपाल सिंह, सालिक राम दूबे, अमिय कुमार वर्मा आदि रही।