नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के शिलाई में हिंदू समाज ने शनिवार को जोरदार प्रदर्शन किया। हिंदू संघर्ष समिति ने इस प्रदर्शन के लिए आह्वान किया था। यह प्रदर्शन अवैध मस्जिद और घुसपैठ समेत कई मुद्दों को लेकर हुआ और प्रदर्शनकारी सरकार से वक्फ बोर्ड खत्म करने की मांग कर रहे हैं। हिंदू संगठनों का कहना है कि अवैध घुसपैठ पर रोक लगाई जाए और इसके लिए बाहर से आए विशेष समुदाय के लोगों का वेरिफिकेशन किया जाए। साथ ही अवैध मस्जिदों पर भी पुलिस-प्रशासन से एक्शन लेने की मांग की गई है।
वक्फ बोर्ड को खत्म करने की मांग ने पकड़ा जोर
हिंदू संगठनों का कहना है कि पूरे हिमाचल प्रदेश में मस्जिदों की पैमाइश और वेरिफिकेशन कराई जाए और जांच के बाद अवैध निर्माण को ध्वस्त किया जाए। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में वक्फ बोर्ड को खत्म करने की मांग भी जोर पकड़ रही है। इन सब मांगों को लेकर ही शुक्रवार को सिरमौर जिले में हिंदू संगठनों का प्रदर्शन हुआ। हिमाचल प्रदेश में हिंदू संगठनों ने सूबे में रह रहे अवैध घुसपैठियों का सामाजिक बहिष्कार करने का फैसला किया है। हिंदू संगठनों का कहना है कि बिना वेरिफिकेशन के बाहर से आए लोगों को दुकानें नहीं दी जाएगी और न ही उनसे कोई सामान खरीदा जाएगा।
संजौली से शुरू हुआ विवाद, हिमाचल में फैला
बता दें कि यह सारा किस्सा हिमाचल प्रदेश के शिमला में स्थित संजौली मस्जिद से शुरू हुआ था, जो कि अब शहर-शहर की कहानी बन चुका है। 31 अगस्त को शिमला के मैहली में 2 गुट भिड़े थे जिसके बाद मारपीट के 6 आरोपी संजौली मस्जिद से गिरफ्तार किए गए थे। 11 सितंबर को हिंदू संगठनों का उग्र प्रदर्शन हुआ और भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया। लाठीचार्ज के विरोध में पूरे हिमाचल में प्रदर्शन शुरू किया गया। 13 सितंबर को मंडी में भी मस्जिद तोड़ने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया गया। इसके बाद बिलासपुर, कसुम्टी में भी अवैध मस्जिद का विरोध हुआ। 19 सितंबर को शिमला के नेरवा में हिंदुओं का प्रदर्शन किया गया।
हिमाचल प्रदेश के संजौली मस्जिद से ही पूरा विवाद शुरू हुआ था।
सिरमौर जिले में सबसे ज्यादा 130 मस्जिदें
हिमाचल में अवैध मस्जिदों को लेकर हिंदू पक्ष लगातार हमला बोल रहा है। हिंदू संगठन सड़क पर उतरकर अवैध मस्जिदों को ध्वस्त करने की मांग कर रहे हैं। बता दें कि साल 2021 में हिमाचल प्रदेश में 393 मस्जिदें थीं, लेकिन अब ये आंकड़ा मिलकर 520 हो गया है। इनमें से सिरमौर जिले में सबसे ज्यादा130 मस्जिदें हैं जहां शुक्रवार को हिंदू सगंठनों का उग्र प्रदर्शन हुआ। हिंदू संगठनों का दावा है कि इनमें से ज्यादातर मस्जिदें अवैध हैं। यही वजह है कि हिमाचल प्रदेश की राजधानी से शुरू हुआ विरोध अब सूबे के शहर-शहर में पहुंच चुका है और ‘बाहरियों’ के बहिष्कार की मांग जोर पकड़ रही है।
डेमोग्राफी चेंज भी विरोध की बड़ी वजह
हिमाचल में हिंदुओं के सड़कों पर उतरने की एक बड़ी वजह सूबे की तेजी से बदलती डेमोग्राफी को भी माना जा रहा है। एक आंकड़े पर अगर नजर डालें तो 1971 की जनगणना में हिमाचल की कुल आबादी 34 लाख 60 हजार 434 थी जोकि 2011 में बढ़कर 68 लाख 64 हजार 602 हो गई। 40 साल में आबादी की ग्रोथ रेट 98.37 फीसदी रही। हिमाचल में 1971 में हिंदू आबादी 33 लाख 24 हजार 627 थी जो कि 2011 में 65 लाख 32 हजार 765 हो गई। इस दौरान हिंदू आबादी की ग्रोथ रेट 96.50 फीसदी रही। इसी तरह 1971 में हिमाचल में मुस्लिमों की आबादी 50 हजार 327 थी जो 2011 में 1 लाख 49 हजार 881 हो गई, और इन 4 दशकों में मुस्लिम आबादी का ग्रोथ रेट रिकॉर्ड 197.81 फीसदी रहा।
हिमाचल के जिलों में कैसे बदली डेमोग्राफी
हिमाचल प्रदेश के कई जिलों में डेमोग्राफी काफी तेजी से बदली है। इन जिलो में हिंदू आबादी के मुकबाले मुस्लिम आबादी काफी तेजी से बढ़ी है। देखिए इन जिलों में डेमोग्राफी चेंज के आंकड़े:
- मंडी में 1971 से 2011 के बीच हिंदू आबादी का ग्रोथ रेट 94% जबकि मुस्लिम आबादी में वृद्धि दर 202.04% रही
- चंबा में 1971 से 2011 के बीच हिंदू आबादी का ग्रोथ रेट 102% जबकि मुस्लिम आबादी में वृद्धि दर 128.44% रही
- सिरमौर में 1971 से 2011 के बीच हिंदू आबादी का ग्रोथ रेट 110% जबकि मुस्लिम आबादी में वृद्धि दर 203.67% रही
- कांगड़ा में 1971 से 2011 के बीच हिंदू आबादी का ग्रोथ रेट 13% जबकि मुस्लिम आबादी में वृद्धि दर 67.96% रही
और बड़ा आंदोलन करने की तैयारी में हिंदू संगठन
हाल में हुई कई घटनाओं ने हिमाचल प्रदेश में आग में घी भरने का काम किया। इसके बाद संजौली से लेकर मंडी तक, बिलासपुर से लेकर नेरवा तक अवैध मस्जिद का मुद्दा लोगों के बीच छाने लगा। अब हालात ये हैं कि अवैध मस्जिद के विरोध में हिंदू सगंठन सड़क पर उतर कर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। हिंदू संगठनों की अवैध मस्जिद को ध्वस्त करने के साथ ही और भी कई बड़ी मांगें हैं। हिंदू संगठनों के नेताओं का कहना है कि अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है तो आगे और भी ज्यादा बड़ा आंदोलन किया जाएगा।