अयोध्या में बनने वाली मस्जिद का निर्माण अधर में लटक गया है। मस्जिद निर्माण के लिए बनाए गए ट्रस्ट इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) ने अपनी सभी चार उप समितियों को भंग कर दिया है।
अयोध्या में बनने वाली मस्जिद का निर्माण अधर में लटक गया है। मस्जिद निर्माण के लिए बनाए गए ट्रस्ट इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) ने अपनी सभी चार उप समितियों को भंग कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर केंद्र सरकार ने मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन दी है। फाउंडेशन के अनुसार मस्जिद के लिए विदेश से धन जुटाने यानी एफसीआरए (विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम) की मंजूरी हासिल करने के लिए ऐसा किया गया है।
देश के सबसे चर्चित अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ किया था और मस्जिद के निर्माण के लिए केंद्र सरकार को सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ भूमि आवंटित करने का निर्देश दिया था। इसी के बाद मस्जिद के लिए जमीन आवंटित हुई थी। राम मंदिर का निर्माण पूरा भी हो गया और 22 जनवरी 2024 को इसका उद्घाटन हो गया जबकि धन्नीपुर में मिली पांच एकड़ जमीन पर अभी तक मस्जिद का निर्माण शुरू भी नहीं हुआ है।
उप-समितियों को भंग करने के फैसले को लेकर लखनऊ में मुख्य ट्रस्टी जुफर फारूकी की अध्यक्षता में फाउंडेशन की बैठक में फैसला लिया गया। हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए फाउंडेशन के सचिव अतहर हुसैन ने कहा कि एफसीआरए मंजूरी हासिल करने और धन जुटाने के लिए ऐसा करना जरूरी था। यह समितियां इसमें बाधा बन रही थीं। मस्जिद के नाम पर दान के लिए कई फर्जी बैंक खाते खोले जाने की खबर थी। हमने इस संबंध में एक प्राथमिकी भी दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि प्रशासनिक समिति, वित्त समिति, मस्जिद विकास समिति और मीडिया व प्रचार समिति को भंग किया गया है।
उन्होंने कहा कि निर्माण समिति भी भंग की जा रही है। इसका गठन पिछले साल दिसंबर में मुंबई में किया गया था और इसकी अध्यक्षता वरिष्ठ भाजपा नेता हाजी अराफात शेख कर रहे थे। ट्रस्ट के मुताबिक केंद्र सरकार से एफसीआरए मंजूरी मिलने के बाद इन समितियों का नए सिरे से गठन किया जाएगा।
मस्जिद के निर्माण के लिए पांच साल पहले पांच एकड़ जमीन आवंटित की गई थी। इसके बाद भी अभी तक यहां शिलान्यास तक नहीं हो सका है। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मस्जिद के निर्माण की देखभाल के लिए ही इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट का गठन किया था। फाउंडेशन ने पांच एकड़ भूमि पर एक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, एक सामुदायिक रसोई और एक पुस्तकालय के साथ मस्जिद बनाने का प्रस्ताव दिया था।
बताया जा रहा है कि ट्रस्ट को मस्जिद के नक्शे के लिए प्राधिकरण में जमा होने वाले विकास शुल्क के लिए भी धन की कमी आड़े आ रही है। पिछले चार वर्षों में दान के माध्यम से फाउंडेशन को एक करोड़ रुपये तक की धनराशि मिली है। जबकि नक्शा के विकास शुल्क के लिए ही करीब 3 से 4 करोड़ रुपये की जरूरत है।
सचिव अतहर हुसैन ने यह भी साफ किया कि धन की कमी के कारण ही अभी तक निर्माण शुरू नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि हम आम लोगों और संगठनों के साथ बैठक कर रहे हैं। कई कंपनियों की तरफ से सीएसआर फंड मिलने पर बातचीत हुई है। एक बार पर्याप्त धन जुट जाएगा तो निर्माण शुरू करा दिया जाएगा। हम चाहते हैं कि एक बार काम शुरू हो जाए तो बीच में रोकना न पड़े।
अतहर हुसैन ने कहा कि एफसीआरए की मंजूरी पाइपलाइन में है। उन्होंने अपील की कि सिर्फ मुस्लिम ही नहीं बल्कि हिंदू और अन्य समुदायों को भी मस्जिद निर्माण के लिए आगे आना चाहिए और पूरी दुनिया के सामने भाईचारे की मिसाल कायम करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि हमें धन की आवश्यकता है, इसलिए सभी भारतीयों को आगे आना चाहिए। साथ ही कहा कि हमें सबसे पहले एफसीआरए की मंजूरी चाहिए। इसकी मंजूरी के लिए तीन साल की बैलेंस शीट की आवश्यकता होती है। कुछ महीने पहले ही हमने तीन साल पूरे किए हैं। ऐसे में हमें उम्मीद है कि जल्द ही हमें एफसीआरए की मंजूरी मिल जाएगी। यह मंजूरी मिलने के बाद हम उम्मीद करते हैं कि दुनिया भर से हमें धन मिलेगा।
कहा कि हम चाहेंगे कि हिंदू भाई भी आगे आएंगे। हिन्दू भाइयों को इसलिए भी दान करना चाहिए क्योंकि हम यहां पर एक चैरिटी अस्पताल भी बना रहे हैं। हम यहां पर मौलवी अहमदुल्ला शाह के नाम पर एक संग्रहालय भी बनाएंगे। स्वतंत्रता की पहली लड़ाई 1857 की यादें इस संग्रहालय का हिस्सा होंगी। इससे लोगों को पता चलेगा कि इस इलाके में हिन्दू और मुस्लिम हमेशा साथ खड़े रहे हैं और किस तरह से 1857 में मुस्लिम और हिन्दू भाइयों ने मिलकर देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी। लोगों को पता चलना चाहिए कि हमारे पास साझा संघर्ष की विरासत भी है। हम इस संग्रहालय के माध्यम से उस विरासत को दुनिया के सामने प्रदर्शित करना चाहते हैं।
कहा कि अवध वह क्षेत्र है जहां हर समुदाय एक साथ रहता है और सौहार्दपूर्ण ढंग से रहता आया है। इस क्षेत्र में हमारी साझा संस्कृति भी है। हमारा स्वतंत्रता संग्राम भी साझा है। इसलिए यह क्षेत्र पूरी दुनिया को दिखा सकता है कि भव्य राम मंदिर के पूरा होने के बाद हिंदू और मुस्लिम आगे बढ़ चुके हैं और एक साथ खुशी से रह रहे हैं। अब जब मस्जिद के लिए धन की आवश्यकता है तो सभी धर्मों के लोगों को अपनी एकता प्रदर्शित करने के लिए आगे आना चाहिए और दुनिया को एक संदेश देना चाहिए।
पांच एकड़ जमीन के स्वामित्व के संबंध में किसी भी कानूनी मुद्दे के बारे में स्थिति स्पष्ट करते हुए हुसैन ने कहा कि मीडिया में यह खबर आई है कि दो बहनों का दावा है कि जमीन उनकी है, लेकिन हमारे पास माननीय इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश है। उस आदेश से बिल्कुल स्पष्ट है कि यह जमीन 9 नवंबर 2019 को (सुप्रीम कोर्ट के) फैसले के बाद यूपी सरकार द्वारा ट्रस्ट को आवंटित की गई है और अब फाउंडेशन के पास उसका कब्जा है। विवाद की कोई बात नहीं है। यदि आवश्यक हुआ तो हम सरकार से भी इस बारे में स्पष्टीकरण देने का अनुरोध करेंगे।