उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के नवनियुक्त अध्यक्ष राजेश वर्मा ने कहा कि आयोग समय-समय पर पिछड़े वर्गों की सूची का पुनरीक्षण करेगा, ताकि नई जातियों को शामिल किया जा सके और जो जातियां अब पिछड़े नहीं रहे उन्हें सूची से हटाया जा सके।
उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के नवनियुक्त अध्यक्ष राजेश वर्मा ने कहा कि आयोग समय-समय पर पिछड़े वर्गों की सूची का पुनरीक्षण करेगा, ताकि नई जातियों को शामिल किया जा सके और जो जातियां अब पिछड़े नहीं रहे उन्हें सूची से हटाया जा सके। इस दिशा में आयोग लगातार सिफारिशें करेगा और उनके प्रभावी क्रियान्वयन की निगरानी भी करेगा।
वह मंगलवार को लखनऊ के इंदिरा भवन लखनऊ में आयोग की मासिक बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आयोग का उद्देश्य सिर्फ पिछड़े वर्गों की शिकायतों का समाधान करना नहीं है, बल्कि उनके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए ठोस कदम उठाना भी है। पिछड़े वर्गों की शिकायतों के समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण निस्तारण के लिए सदस्यों को जिलावार जिम्मेदारी दी जाएगी। इससे जाति प्रमाणपत्र प्राप्त करने में आने वाली कठिनाई भी दूर हो सकेगी।
उन्होंने कहा कि आयोग को पिछड़े वर्गों के हितों की सुरक्षा, उनके अधिकारों की रक्षा और उनके कल्याण के लिए महत्वपूर्ण शक्तियां दी गई हैं। आयोग यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी प्रकार से पिछड़े वर्गों को उनके अधिकारों से वंचित न किया जाए। बैठक में उपाध्यक्ष सोहन लाल श्रीमाली व सूर्य प्रकाश पाल सहित अन्य सदस्य भी मौजूद रहे।
बैठक में आयोग ने लोनिया जाति को क्षत्रिय के रूप में दर्ज करने का औचित्य नहीं पाया और सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव को निरस्त कर दिया। इसी तरह हिन्दू दर्जी और मुस्लिम दर्जी को अलग-अलग क्रमांक पर दर्ज करने के मुद्दे पर आयोग ने निर्णय लिया कि उपजाति या उपनाम जोड़ने से भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है। इसलिए प्रतिवेदनकर्ता के अनुरोध को सर्वसम्मति से निरस्त कर दिया गया। बैठक में सदस्यों के सुझावों पर उच्चस्तरीय विचार-विमर्श करने का आश्वासन दिया गया। अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि पिछड़े वर्गों के अधिकारों की रक्षा और उनके विकास के लिए हरसंभव कदम उठाए जाएंगे।