रिपोर्ट- अंकुर सैनी
सहारनपुर: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के किसान कुछ अलग तरह की खेती करने के लिए जाने जाते हैं. आज हम आपको एक ऐसे किसान के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने अपने खेत में अमृता के कुछ पेड़ लगाए हैं. अमृता के पेड़ के पत्ते खासकर बुखार में अधिक कारगर साबित होते हैं. इस पेड़ को अमृता इसलिए कहा जाता है क्योंकि जहां पर भी आप इस पेड़ को काट कर रख देते हैं वहां से ही इस पेड़ की जड़ें शुरू हो जाती है. यानी कि इस पेड़ को जमीन की मिट्टी की भी जरूरत नहीं होती है.
अमृता का ज्यादा चर्चित नाम गिलोय है. बुखार से लेकर कई अन्य रोगों में यह रामबाण का काम करती है. अमृता का आयुर्वेदिक दवाइयों में भी इस्तेमाल किया जाता है.
अमृता के लगाने के फायदे
किसान सुरेंद्र कुमार ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि उन्होंने अपने खेत में नीम की अमृता (गिलोय) लगाई है. इस पेड़ को वह जंगल से लेकर आए थे. जिस तरीके से मौसम बदल रहा है तो सीजनी बुखार लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है. डॉक्टर भी अमृता (गिलोय) के पत्तों को पकाकर बुखार के मरीज को पिलाने की सलाह देते हैं.
विभिन्न बीमारियों में कैसे आती है काम
आयुर्वेद डॉ हर्ष ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि विभिन्न रोगों में अमृता का इस्तेमाल किया जाता है. लिवर से संबंधित किसी भी बीमारी में अमृता (गिलोय) का प्रयोग किया जाता है. शुगर यानी कि डायबिटीज में इसका महत्वपूर्ण रोल है. अगर किसी का शुगर लेवल 200, 250, 300 तक पहुंच रहा है तो 50ML अमृता का रस पिलाकर 10 मिनट बाद उसका शुगर लेवल चेक किया जाए तो 50 से 60 डाउन हो जाएगा.
गठिया के रोग में भी इसका काफी अच्छा इस्तेमाल है. डाइजेशन की समस्या वाले पेशेंट को भी अमृता (गिलोय) दी जाती है. खांसी के मरीज को भी अमृता अगर पिलाई जाए तो यह काफी अच्छा आराम करती है. अस्थमा के मरीज के लिए भी काफी फायदेमंद है. डॉक्टर हर्ष बताते हैं कि शरीर के हर अंग में अमृता अमृत का काम करती है.
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FIRST PUBLISHED : September 16, 2024, 20:15 IST
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