यूपी में डॉक्टर बनने के लिए लगाए गए प्रमाण पत्रों में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। अभ्यर्थियों ने एमबीबीएस के दाखिले के लिए बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन कानून का उल्लंघन किया। मामला खुलने के बाद अल्पसंख्यक कल्याण विभाग और चिकित्सा विभाग ने प्रदेश के सभी ऑफिसों को सतर्क कर दिया। साथ ही अभ्यर्थियों पर भी कार्रवाई के लिए तैयारी की जा रही है। इसके लिए चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण निदेशालय ने अपने कर्मचारियों से उम्मीदवारों द्वारा प्रस्तुत सभी प्रमाण पत्रों की जांच करने के लिए कहा है।
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने जिले में स्थित विभागीय अधिकारियों को किसी भी धार्मिक परिवर्तन के लिए प्रमाण पत्र जारी करते समय उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धार्मिक रूपांतरण अधिनियम 2021 (UPPUCRA-2021) का पालन करने का निर्देश दिया है। उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक जे रीभा ने कहा, जैसे ही नियमों के खिलाफ जारी किए गए धर्मांतरण प्रमाण पत्रों के बारे में मामला हमारे संज्ञान में आया, हमने अपने सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को कोई भी धर्मांतरण प्रमाण पत्र जारी करते समय UPPUCRA-2021 को ध्यान में रखने के लिए कहा है।
अब तक कम से कम 20 उम्मीदवारों ने विभिन्न जिलों में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा जारी धर्मांतरण प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए हैं, जो UPPUCRA-2021 का घोर उल्लंघन है। ये अभ्यर्थी इस वर्ष नीट काउंसलिंग में भाग नहीं ले पाएंगे, जबकि जांच और कार्रवाई की जाएगी। काउंसलिंग कमेटी अगले सप्ताह होने वाली बैठक में आगे की कार्रवाई तय करेगी। खबर के बाद सात अभ्यर्थियों का प्रवेश रद्द कर दिया गया, जबकि सात ने सीट आवंटित होने के बाद भी खुद ही प्रवेश छोड़ दिया। शेष के दस्तावेज संबंधित राज्यों को भेज दिए गए हैं क्योंकि वे उत्तर प्रदेश से बाहर के अभ्यर्थी हैं। अभ्यर्थियों के पास ऐसे प्रमाण पत्र थे जो यूपीपीयूसीआरए-2021 में निर्धारित 60 दिन की अग्रिम सूचना के बिना बनाए गए थे।
उत्तर प्रदेश के महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा (डीजीएमई) किंजल सिंह ने कहा, हमने घटनाक्रम की जानकारी दे दी है और गृह विभाग मामले की जांच करेगा। जांच का नेतृत्व करने वाली उत्तर प्रदेश की डीजीएमई ने अवैध धर्मांतरण को उजागर किया। डीजीएमई ने काउंसलिंग में लगे कर्मचारियों और अभ्यर्थियों को एक पत्र जारी किया। कुछ अभ्यर्थियों ने फर्जी/हेरफेर किए गए अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र के आधार पर नोडल केंद्रों से आवंटन पत्र लिया। ऐसे अभ्यर्थियों का प्रवेश रद्द कर दिया गया है।
डीजीएमई कार्यालय की ओर से जारी परिपत्र में कहा गया है कि भविष्य में भी यदि कोई अभ्यर्थी जांच/सत्यापन में फर्जी पाया गया तो उसका प्रवेश रद्द कर दिया जाएगा और कानूनी कार्रवाई की जाएगी। नियमों का उल्लंघन कर प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए 20 अभ्यर्थी पहले से ही जांच के दायरे में हैं। अब सभी प्रमाण पत्र संबंधित विभागों की निगरानी में होंगे, जहां से प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं। प्रवेश हो जाने के बाद भी जांच जारी रहेगी।