पिछले तीन दिन से हो रही मूसलाधार बारिश शहर में पुराने और जर्जर भवनों पर कहर बनकर टूट रही है। ताश के पत्तों के मकान ढह रहे हैं। इस बीच ताजमहल सहित कई अन्य स्मारकों को बारिश से खतरा होने लगा है। इसे लेकर एएसआई अलर्ट पर है। ताजमहल के कई हिस्सों में छतों से पानी टपकने लगा है। गुंबद से पानी रिस रहा है। एएसआई स्टाफ लगातार इसकी निगरानी कर रहा है। जांच कराने के लिए टीमें लगा दी गईं हैं। आगरा किला, बेबीताज, फतेहपुर सीकरी, रामबाग को बारिश के पानी से काफी नुकसान हुआ है।
ताजमहल की नींव कुओं पर रखी गई है। साल की लकड़ी लगाई गई है। इस लकड़ी के लिए नमी का होना जरूरी है, इसलिए इसे यमुना किनारे बनाया गया है। जिससे वर्षभर इसकी बुनियाद को नमी मिलती रही और स्मारक मजबूत बना रहे। यमुना का पानी ताजमहल की मजबूती को संजीवनी दे रहा है, वहीं बारिश का पानी स्मारक के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है। कारण, बारिश का पानी छतों पर भरने से रिसाव होने लगा है। गुरुवार को मुख्य गुंबद से पानी टपकने की सूचना पर जब अधिकारियों ने छत का मुआयना किया तो मालूम पड़ा कि तेज बारिश के कारण पानी छत पर भर गया था। इस कारण छत में नमी आने से पानी का रिसाव हो गया था। यही नहीं फतेहपुर सीकरी, आगरा किला, बेबीताज और सिकंदरा स्थित अकबर टाम्ब के भी कई हिस्सों में पानी टपकने की सूचनाएं मिलीं।
टीमें लगाकर रिसाव चेक करने के निर्देश
अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल ने सभी स्मारकों पर टीमें लगाकर इस रिसाव को चेक करने के निर्देश दिए। सभी स्मारकों पर नमी के कारण पानी टपकने की जानकारी मिली। पटेल ने बताया कि सभी स्मारकों पर नजर रखी जा रही है। लगातार बारिश के कारण नमी तो आना स्वाभाविक है। पानी रुके नहीं, इसके लिए नालियां साफ करा दी गईं हैं। गुरुवार को स्मारकों में गिरे पेड़ों को काटकर उन्हें हटाए जाने का काम किया गया। ताजमहल के गार्डन में भरा पानी निकल गया है। पौधों को नुकसान हुआ है। फतेहपुर सीकरी, रामबाग, बेबीताज में गिरी दीवारों के मलबे को हटाने का काम भी किया गया।
अपने समय के बुलंद मकान और हवेलियां आज जर्जर हाल में लोगों को डरा रहे हैं। पुराने शहर की पहचान इन ककइया ईटों के भवनों को दो दिन की बारिश ने ढहा दिया। तो कुछ गिरासू हालत में पहुंच गए। इनके आसपास रह रहे लोग अपने मकानों को लेकर दहशत में हैं। गुरुवार रात साढ़े आठ बजे के बाद से थमे लगातार बारिश के सिलसिले ने शुक्रवार को राहत जरूर पहुंचाई। सुबह लोग अपने रोजमर्रा के कार्यों में जुट गए। दोपहर में सूर्य देव के दर्शन भी हुए, लेकिन शाम होते-होते बारिश शुरू हो गई पर यह रुक-रुक कर चली। इससे शहर में जलभराव हो गया। देहात में बिजली संकट ने लोगों केहोश उड़ा दिए।
खतरा-ए-जान बने सैकड़ों जर्जर मकान
आगरा नगर निगम की सूची में महज 178 भवन हैं ऐसे हैं जो जर्जर की श्रेणी में आते हैं, जबकि हकीकत इससे इतर है। शहर में बड़ी संख्या में ऐसे भवन हैं जो गिरासू हैं। इनमें सरकारी और गैर सरकारी दोनों श्रेणी के भवन शामिल हैं। गुरुवार और शुक्रवार को हुईं घटनाओं के बाद नगर निगम की नींद टूटी है। अब दोबारा से सर्वे कराने की योजना पर काम किया जा रहा है।
शहर के रावतपाड़ा, जीवनी मंडी, बेलनगंज, पीपल मंडी, कचहरी घाट, छत्ता, भैरों बाजार, सदर भट्टी, मंटोला, ढोलीखार, नाला काजीपाड़ा, लोहामंडी, शाहंगज, ताजगंज सहित कई ऐसे इलाके यहां जहां मुगल और ब्रिटिश कालीन भवन हैं। बड़ी संख्या में ऐसे भवन हैं जो ककैया ईंटों से बने हैं। कहीं तो भवन खाली हैं और कहीं किराएदारी, बंटवारे आदि के विवाद में फंसे हैं। इसकी वजह से उनकी मरम्मत नहीं कराई जाती है। इसलिए भवन जर्जर हो चुके हैं। तमाम सरकारी भवन हैं जो गिरासू हैं। इनमें शिक्षा भवन, जलकल विभाग के स्टाफ क्वाटर, पुलिस विभाग क्वार्टर आदि हैं जो गिरासू हालात में हैं लेकिन निगम की सूची में महज 178 भवन शामिल हैं। शहर में गुरुवार को करीब 15 भवन और दीवारों के गिरने की घटना हुई थी। यह सिलसिला शुक्रवार भी नहीं है।