रामपुर में शत्रु सम्पत्ति को हड़पने के लिए हुए फर्जीवाड़े की रिपोर्ट से पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान का नाम निकालने के लिए विवेचक बदलने वाले तत्कालीन एसपी अशोक शुक्ला के खिलाफ शासन ने जांच के आदेश दिए है। शासन ने जांच के लिए संयुक्त कमेटी बना दी है। इस कमेटी में अलीगढ़ की मण्डलायुक्त चैत्र वी. और आईजी सतर्कता अधिष्ठान मंजिल सैनी को शामिल किया गया है। एसपी पर आरोप है कि वर्ष 2020 में आजम खान के खिलाफ दर्ज एफआईआर से नाम निकालने और सतही चार्जशीट दाखिल करने के लिए विवेचक बदला था। जांच में कई अन्य पुलिसकर्मी भी कार्रवाई के दायरे में आयेंगे।
यह पूरा मामला रामपुर में बनी मो. अली जौहर यूनिवर्सिटी परिसर के तहत आने वाली जमीन से जुड़ा है। यह जमीन इमामुद्दीन कुरैशी के नाम दर्ज थी। वर्ष 1947 में बंटवारे के समय इमामुद्दीन भारत छोड़ कर पाकिस्तान चले गए थे। वर्ष 2006 में यह संपत्ति शत्रु सम्पत्ति के रूप में केंद्र सरकार के कस्टोडियन विभाग के अंतगर्त दर्ज कर ली गई थी।
जांच में पता चला कि राजस्व विभाग के दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा कर शत्रु संपत्ति पर कब्जा करने के लिए आफाक अहमद का नाम गलत तरीके से राजस्व रिकार्ड में दर्ज करा दिया गया था। रिकार्ड के कुछ पन्ने भी फटे मिले थे। इस पर ही वर्ष 2020 में इस संबंध में एफआइ्रआर सिविल लाइंस थाने में दर्ज कराई गई थी।
विवेचक ने आजम खान का नाम बढ़ा दिया था
वर्ष 2023 में इसकी विवेचना तत्कालीन इंस्पेक्टर गजेन्द्र त्यागी ने शुरू की थी। गजेन्द्र ने लेखपाल के बयान के आधार पर मो. आजम खान का नाम आरोपितों में शामिल कर दिया था। इस पर तत्कालीन एसपी अशोक शुक्ला ने इंस्पेक्टर गजेंद्र त्यागी से विवेचना लेकर अपराध शाखा को ट्रांसफर कर दी थी। यहां के इंस्पेक्टर श्रीकांत द्विवेदी को विवेचना दे दी गई। इसके बाद जांच में ढिलाई बरती गई। साथ ही दर्ज धाराओं को हल्का कर दिया गया। कुछ समय बाद ही आजम खान का नाम ही एफआईआर से निकाल दिया गया था।
खुलासा होते ही विवेचना फिर बदली
कुछ समय में ही यह मामला प्रकाश में आ गया। शासन ने आजम खान और अन्य आरोपितों को फायदा पहुंचाने के लिए विवेचक फिर बदलने का आदेश दिया गया। इसके साथ ही एसपी रामपुर रहे अशोक शुक्ला की भूमिका को संदिग्ध मानते हुए उनके खिलाफ जांच के आदेश दिए गए।