पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया है जिसके तहत राज्य के मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई कोटे से एमबीबीएस व बीडीएस कोर्स के एडमिशन नियमों में बदलाव किए थे। हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश शील नागू और जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल की पीठ ने सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं को स्वीकार करते हुए कहा कि 20 अगस्त को जारी किए गए नोटिफिकेशन के जरिए एनआरआई की परिभाषा का दायरा बढ़ाना पूरी तरह से अनुचित है। 20 अगस्त को राज्य सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर एमबीबीएस एडमिशन के लिए एनआरआई कैटेगरी का विस्तार कर दिया था। एनआरआई कैटेगरी से उनके रिश्तेदारों को भी दाखिला लेने की अनुमति दे दी गई थी।
कोर्ट ने कहा, ‘शुरू में एनआरआई कोटे का मकसद एनआरआई और उनके बच्चों को लाभ पहुंचाना था, जिससे उन्हें भारत में शिक्षा के अवसरों तक पहुंच मिल सके। चाचा, चाची, दादा-दादी और चचेरे भाई-बहन जैसे दूर के रिश्तेदारों को शामिल करने के लिए परिभाषा का दायरा बढ़ाने से एनआरआई कोटा का मुख्य उद्देश्य कमजोर हो गया है। एनआरआई की परिभाषा का विस्तार करने से इस कोटे के दुरुपयोग के रास्ते खुलते हैं जिससे ऐसे व्यक्ति जो इस कोटे के पात्र नहीं होते, वे इन सीटों का लाभ उठा सकते हैं। अयोग्य अभ्यर्थियों को कोटा मिलने से अधिक योग्य उम्मीदवार दरकिनार हो सकते हैं।’
इससे पहले 28 अगस्त को गीता वर्मा और एमबीबीएस/बीडीएस कोर्सेज में दाखिला के लिए कई अन्य उम्मीदवारों द्वारा दायर याचिका पर कार्रवाई करते हुए हाईकोर्ट ने नियमों को बदलने वाली अधिसूचना पर रोक लगा दी थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि 9 अगस्त को मेडिकल कोर्सेज में दाखिले के लिए प्रॉस्पेक्टस जारी किया गया था। फॉर्म सब्मिट के बाद 20 अगस्त को राज्य सरकार ने गैरकानूनी तरीके से दाखिला प्रक्रिया के बीच में ही एनआरआई कोटा नियमों को बदल दिया। इसमें एनआरआई कोटे की सीटें खाली रहने पर एनआरआई के निकटतम रिश्तेदार उम्मीदवारों को एनआरआई कोटा से एमबीबीएस में एडमिशन लेने की अनुमति दे दी गई।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि 22 अगस्त को एक और नोटिफिकेशन जारी किया गया जिसमें एक संस्थान में अचानक 15 फीसदी एनआरआई कोटा बना दिया गया। डॉ. बीआर अंबेडकर स्टेट इंस्टीट्यूट मेडिकल साइंसेज, मोहाली में जनरल कोटा सीटों को कम कर यह कोटा बना दिया गया।
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कितनी सीटें दांव पर
पंजाब के सभी मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में एनआरआई कोटे के तहत एमबीबीएस की लगभग 185 एनआरआई और बीडीएस की 196 सीटों पर दाखिला होता है। सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस सीट के लिए फीस करीब 92 लाख है और बीडीएस सीट के लिए करीब 36 लाख रुपये है। पंजाब में प्राइवेट और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में कुल सीटों का 15 फीसदी एनआरआई कोटे के उम्मीदवारों के लिए निर्धारित है।
कोर्ट ने कहा कि एनआरआई कोटे के नए नियमों से लोग सिर्फ इस दावे से गार्जियन बन जाते हैं कि उन्होंने उस छात्र की देखभाल की है। यह प्रावधान अस्पष्ट है और इसमें स्पष्ट मानदंडों का अभाव है। यह दाखिला प्रक्रिया में हेरफेर की संभावना पैदा करता है।
यह योग्यता-आधारित प्रवेश प्रक्रिया को कमजोर करता है और उन छात्रों को नुकसान पहुंचाता है जो शैक्षणिक रूप से अधिक योग्य हो सकते हैं।
इस पर भी ध्यान दिया गया कि सरकार ने उम्मीदवारों को अपनी श्रेणी बदलने की भी अनुमति दी है जब एडमिशन प्रक्रिया समाप्त होने वाली थी। यह भी संदिग्ध है। कोर्ट ने सरकार को ऑरिजनल प्रॉस्पेक्टस के अनुसार प्रवेश प्रक्रिया को पूरा करने का निर्देश दिया।