Dowry harassment case: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि पति के दोस्त पर दहेज उत्पीड़न का मुकदमा नहीं दर्ज कराया जा सकता है। मित्र रिश्तेदार की परिभाषा में नहीं आते हैं। कोर्ट ने कहा कि याची विवाहिता के पति की कॉलेज दोस्त है। दोनों में बातचीत होती थी। ऐसे में दुर्भावनापूर्ण मुकदमा दर्ज कराया गया। न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की कोर्ट ने नेहा त्रिपाठी की अर्जी पर यह आदेश दिया। प्रयागराज निवासी नेहा त्रिपाठी पर सिविल लाइंस थाने में 2018 में दहेज उत्पीड़न सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया था। आरोप पत्र दाखिल होने के बाद याची ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी।
याची के वकील का कहना था कि दहेज उत्पीड़न का मुकदमा उन्हीं पर चल सकता है जो पति के रिश्तेदार हों। याची न तो पति है और न ही पति की रिश्तेदार है। इसलिए उसके खिलाफ कोई भी अपराध नहीं बनता है। याची विवाहिता के पति की कॉलेज दोस्त है।
ऐसे में वह उससे फोन पर बात करती थी। इसे ही आधार बनाकर उसे मामले में फंसाया गया है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि याची पर दुर्भावना में मुकदमा दर्ज कराया गया है। कोर्ट ने अर्जी स्वीकार करते हुए आपराधिक मामले की संपूर्ण कार्यवाही रद्द कर दी है।