हम हर हफ्ते 5 ग्राम प्लास्टिक पीते हैं. यह सुनने में थोड़ा अजीब लगे लेकिन स्विट्जरलैंड की WWF इंटरनेशनल रिपोर्ट में यही बात सामने आई. हमारे घरों में जिस पानी की सप्लाई हो रही है उसमें 82.4% माइक्रोप्लास्टिक है. यानी हम प्लास्टिक केवल चीजों में ही इस्तेमाल नहीं कर रहे, बल्कि इसे पी भी रहे हैं. यही नहीं फल, सब्जी के साथ-साथ हम सांस के जरिए भी प्लास्टिक को अपने शरीर में घोल रहे हैं.
हर जगह प्लास्टिक के कण
माइक्रोप्लास्टिक प्लास्टिक के कण होते हैं जिनका साइज 1 नैनोमीटर से 5 मिलीमीटर तक होता है. नेशनल ओशनिक एटमोस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक प्लास्टिक के बड़े टुकड़े हवा और गर्मी से माइक्रोप्लास्टिक में बदल जाते हैं. हमारी जिंदगी प्लास्टिक पर निर्भर है. टूथ ब्रश, बाल्टी, कुर्सी, पेन, टिफिन बॉक्स, पानी की बोतल सब चीज प्लास्टिक से बनती हैं जिससे हमारा घर भरा हुआ है. हर खाने-पीने के सामान की पैकिंग भी प्लास्टिक में होती है. आखिर में यह सारा प्लास्टिक वेस्ट जाता है डंपिंग ग्राउंड में. जहां मिट्टी में प्लास्टिक के कण मिलते हैं और जमीन के अंदर जाकर कुएं, नदी, बोरवेल और समुद्र के पानी में मिल जाते हैं. जो लोग सी-फूड खाते हैं उनके शरीर में भी इसकी मात्रा मिली है.
सिंथेटिक कपड़ों से बचें
अगर आप कोई ड्रेस खरीद रहे हैं तो भले ही उसकी पैकिंग प्लास्टिक में हो लेकिन बॉडी में कपड़े के फैब्रिक से माइक्रोप्लास्टिक घुलता है. दरअसल आजकल बाजार में बिक रहे अधिकतर कपड़े नायलॉन, रेयान, पॉलिस्टर जैसे फैब्रिक के बिक रहे हैं. इन सब सिंथेटिक कपड़ों में प्लास्टिक के कण होते हैं. जब यह हमारी त्वचा के संपर्क में आते हैं तो पसीने के साथ रोम छिद्र के जरिए शरीर में प्रवेश कर जाते हैं.
अमेरिका में हो रही पानी की सप्लाई में 94% माइक्रोप्लास्टिक घुला मिला (Image-Canva)
सांस लेने से भी बॉडी में घुसते हैं प्लास्टिक के कण
खाने-पीने के जरिए प्लास्टिक के कण हमारे लिवर में पहुंचते हैं जो पाचन क्रिया से खून में मिल जाते हैं. वहीं, हवा के जरिए भी कई बार इसके कण फेफड़ों में पहुंचकर खून में मिल जाते हैं. स्टेटिस्टा के मुताबिक हमारे शरीर में माइक्रोप्लास्टिक सबसे ज्यादा प्लास्टिक की बोतलों से पहुंचता है. 1 लीटर की बोतल में 94 माइक्रोप्लास्टिक पाया जाता है. यह बोतल पानी की, कोल्ड ड्रिंक की या जूस की भी हो सकती है. हवा के जरिए हमारी बॉडी 9 माइक्रोप्लास्टिक और चीनी, नमक, आटे से 0.44 माइक्रोप्लास्टिक प्रवेश करता हैं.
2 साल पहले बजी खतरे की घंटी
प्लास्टिक पर्यावरण के लिए खतरनाक है, यह तो सभी बहुत पहले से जानते हैं लेकिन इसके कण इंसानों के खून में भी मिल रहे हैं, इसका पहला मामला 2022 में सामने आया. नीदरलैंड के वैज्ञानिकों ने कुछ लोगों के ब्लड सैंपल लेकर रिसर्च की जिसमें प्लास्टिक के कण मिले. यूनिवर्सिटी ऑफ हल के शोध के अनुसार माइक्रोप्लास्टिक इंसान की जान तक ले सकते हैं. इससे कैंसर, थायराइड, इनफर्टिलिटी और दिमाग से जुड़ी बीमारियां होने का खतरा रहता है.
नमक, चीनी, सब्जी हर चीज में इसकी मौजूदगी
पिछले दिनों टॉक्सिक्स लिंक संस्था की माइक्रोप्लास्टिक इन सॉल्ट एंड शुगर नाम की स्टडी प्रकाशित हुई थी. इसमें सामने आया कि भारत में बिक रहे हर ब्रांड के नमक और चीनी में माइक्रोप्लास्टिक है. 1 किलो आयोडीन नमक में सबसे ज्यादा 89.15 टुकड़े पाए गए. वहीं 1 किलो चीनी में इसकी मात्रा 11 से 68 थी. 2020 में एनवायरमेंटल रिसर्च में पब्लिश हुई रिपोर्ट के मुताबिक हर सब्जी और फल में माइक्रोप्लास्टिक है. सबसे ज्यादा प्लास्टिक के 195,500 कण ब्रोकली में पाए गए. गाजर में इनकी संख्या 100,000 कण प्रति ग्राम थी. सेब में यह संख्या 195,500 कण प्रति ग्राम और नाशपाती में 189,500 कण प्रति ग्राम थी. दरअसल खेतों में जब सब्जी और फल उगाए जाते हैं तो माइक्रोप्लास्टिक मिट्टी और पानी के जरिए इनमें घुस जाते हैं. कुछ किसान वेस्ट वॉटर को फसलों में छोड़ देते हैं.
प्लास्टिक की बोतलों को नष्ट होने में 450 साल तो पॉलिथीन को 20 साल लगते हैं (Image-Canva)
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर डाइट लें
डायटीशियन शिप्रा शर्मा कहती हैं कि खून में माइक्रोप्लास्टिक का घुलना कई बीमारियों को न्योता देना है. अक्सर लोग माइक्रोवेव में खाना गर्म करते हैं और इसमें प्लास्टिक या फाइबर के बर्तन ही इस्तेमाल होते हैं. ऐसे में प्लास्टिक के कण खाने में मिल जाते हैं. ब्लड टेस्ट के बाद ही पता चल सकता है कि शरीर में कितना माइक्रोप्लास्टिक है. ब्लड को प्यूरिफाई करने के लिए डाइट में एंटीऑक्सीडेंट शामिल करें. इसके अलावा नीम, एलोवेरा और करेला भी खून साफ करता है.
कैसे दूर हो समस्या
प्लास्टिक लाइफस्टाइल से जुड़ा है तो माइक्रोप्लास्टिक से छुटकारा तभी मिलेगा जब हम प्लास्टिक का इस्तेमाल छोड़ेंगे. पॉलिथीन की जगह जूट या कागज के बैग इस्तेमाल करें, कॉटन के कपड़े पहनें, पानी को कांच या स्टील की बोतल में स्टोर करें, लकड़ी से बने ब्रश का इस्तेमाल करें, पैक्ड फूड से परहेज करें, पानी को उबाल कर या आरओ फिल्टर लगाकर पीएं स्टील के लंच बॉक्स यूज करें और सब्जी-फलों को गर्म पानी से धोकर खाएं और घर को वैक्यूम क्लीनर से साफ करें.
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FIRST PUBLISHED : September 8, 2024, 11:37 IST