पेरिस पैरालंपिक 2024 में शनिवार 7 सितंबर को कुछ अजीब घटना इन खेलों में घटी। पुरुषों की भाला फेंक एफ41 फाइनल में नाटकीय प्रदर्शन के बीच भारतीय खिलाड़ी को सिल्वर मेडल की जगह गोल्ड मेडल मिला। इसके अलावा जो खिलाड़ी चौथे नंबर पर था और उसने पदक जीतने की आस छोड़ दी थी, उसे भी पोडियम पर खड़े होने का मौका मिला। ये सब हुआ, ईरान के एक खिलाड़ी की गलती थी। ईरानी खिलाड़ी सादेघ बेत सयाह को पोडियम पर खड़े होने से पहले अयोग्य घोषित किया गया और इस वजह से भारत के नवदीप सिंह को रजत पदक की जगह स्वर्ण पदक मिला।
यह पुरुषों की भाला एफ41 श्रेणी में भारत का पहला स्वर्ण पदक है। इस तरह नवदीप सिंह ने इतिहास रचा। फाइनल में नवदीप का पहला प्रयास फाउल रहा, लेकिन उन्होंने दूसरे प्रयास में 46.39 मीटर के थ्रो के साथ शानदार वापसी की। तीन साल पहले टोक्यो पैरालंपिक में चौथे स्थान पर रहने वाले नवदीप के तीसरे थ्रो ने स्टेडियम को रोमांचित कर दिया। उन्होंने 47.32 मीटर के विशाल थ्रो के साथ पैरालंपिक रिकॉर्ड को तोड़ दिया और बढ़त बना ली। हालांकि, ईरानी थ्रोअर सादेघ ने अपने पांचवें प्रयास में भारतीय खिलाड़ी से बेहतर प्रदर्शन करते हुए 47.64 मीटर का रिकॉर्ड थ्रो किया। फाइनल की समाप्ति के कुछ समय बाद ईरान के खिलाड़ी को अयोग्य घोषित कर दिया गया, जिसके कारण नवदीप का सिल्वर मेडल गोल्ड में तब्दील हो गया।
दरअसल, सादेघ बेत सयाह को बार-बार आपत्तिजनक झंडा प्रदर्शित करने के लिए अयोग्य घोषित किया गया। वह अपनी हरकतों से स्वर्ण पदक गवां बैठे। अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक समिति के नियम एथलीटों को आयोजन में कोई भी राजनीतिक संकेत देने से रोकते हैं और सयाह को गैर-खेल/अनुचित आचरण के लिए अंतिम परिणामों से बाहर कर दिया गया था। इस स्पर्धा का रजत विश्व रिकॉर्ड धारक चीन के सन पेंगजियांग (44.72) के नाम रहा, जबकि इराक के नुखाइलावी वाइल्डन (40.46) ने कांस्य पदक जीता। एफ41 श्रेणी छोटे कद के एथलीटों के लिए है।