लखनऊ के गोला रेंज में एक शातिर बाघ ने ग्रामीणों के साथ वन विभाग की भी नींद उड़ा दी है। गांव में घुसकर पालतू पशुओं को निशाना बना रहा है। वो इतना शातिर है कि उसे काबू करने के तमाम प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। उसे पकड़ने के लिए वन विभाग ने पिंजड़ा लगाया। वो पिंजड़े के पास आता है। उसके चारों ओर चक्कर काटता है। अपने पगमार्क यानि पैरों के निशान छोड़ता मानो चुनौती दे रहा हो। फिर चला जाता है। दिन में सड़क और गांव में भी उसकी चहलकदमी के निशान मिले हैं। अब उसे ट्रेंकुलाइज कर पकड़े जाने की योजना है।
लखनऊ मंडल के तहत गोला रेंज में एक बाघ पिछले तीन महीने से चकमा दे रहा है। स्थानीय लोग परेशान हैं। वन विभाग पर बाघ को पकड़ने के लिए दबाव बना रहे हैं। उनकी सोच है कि विभाग लापरवाही कर रहा है। मगर हकीकत यह है कि वो विभाग के हाथ नहीं आ रहा। पिछले तीन महीने से वो बार-बार रिहायशी इलाकों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। जब आता है तो किसी न किसी जानवर को शिकार बनाता है। सिलसिला चार जून को एक लड़की की मौत से शुरू हुआ था।
लखनऊ मंडल की मुख्य वन संरक्षक रेणु सिंह द्वारा प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य जीव) संजय श्रीवास्तव को पत्र लिखकर 4 जून से अब तक सिलसिलेवार बाघ की गतिविधियों को बताते हुए इसे ट्रेंकुलाइज किए जाने की अनुमति मांगी। दक्षिणी खीरी वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार ग्राम बलारपुर में 4 जून को एक लड़की के मारे जाने के बाद गन्ने के खेत में बाघ को पकड़ने के लिए पिंजड़ा लगाया गया था। मगर वो उसमें नहीं आया। पांच से 12 अगस्त के बीच बलारपुर में लगाए गए पिंजड़े के पास और मनदीप सिंह के फार्म के पास टाइगर द्वारा बछड़े को मारा गया। वहां उसके पगमार्क (पैरों के निशान) भी मिले।
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सड़क और गांव में भी देखी गई चहलकदमी
13 से 20 अगस्त के बीच गांव हजरतपुर में दो बकरियों को टाइगर द्वारा मारा गया। फिर बलारपुर गांव और पिजड़े के चारों ओर उसके पगमार्क मिले। 21 से 26 अगस्त तक गांव बजरिया में बाघ ने एक बकरी को शिकार बनाया। कलिंजरपुर जंगल के किनारे स्थित गन्ने के खेतों में टाइगर का मूवमेंट लगातार बना हुआ है। अक्सर दिन के समय सड़क मार्ग व गांव में बाघ की चहलकदमी बनी हुई है। 24 अगस्त को नौगंवा गांव के गन्ने के खेत में बाघ ने एक नीलगाय को मार दिया था। इसे लेकर ग्रामीणों का वन विभाग की गश्ती टीमों के साथ विवाद भी हुआ। वो टाइगर पकड़ने का दबाव बना रहे हैं। विभाग ने इस शातिर बाघ को ट्रेंकुलाइज कर पकड़ने की अनुमति दे दी है।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री (स्वतंत्रप्रभार), डा. अरुण कुमार सक्सेना ने कहा कि गोला रेंज के कई गांवों में बाघ की उपस्थिति की शिकायत स्थानीय लोगों ने की है। पहले उसे पिंजड़े के जरिए पकड़ने का प्रयास किया गया था। अब उसे ट्रेंकुलाइज करने की अनुमति दे दी गई है।