भारतीय तीरंदाज शीतल देवी ने हाल ही में पेरिस पैरालंपिक 2024 में मिश्रित टीम कंपाउंड ओपन स्पर्धा में ब्रॉन्ज मेडल जीता। उनके दोनों हाथ नहीं हैं। वह पैरों से निशाना लगाती हैं। शीतल का जीवन काफी मुश्किलों में बीता लेकिन बुलंद हौसलों से नई उड़ान भरने में कामयाब रहीं। वह दुनिया की पहली और एकमात्र सक्रिय महिला तीरंदाज हैं, जो बगैर हाथों के तीरंदाजी करती हैं। शीतल अपने कोच कुलदीप वेदवान का बहुत सम्मान करती हैं, जिसकी झलक एक वीडियो में देखी जा सकती है। वेदवान ने शीतल को शानदार तीरंदाज बनाने में अहम भूमिका निभाई।
खेल पत्रकार बोरिया मजूमदार ने शीतल द्वारा कोच को सम्मान देने का वीडियो इंस्टाग्राम पर साझा किया है। वीडियो में देखा जा सकता है कि 17 वर्षीय शीतल पैरों की मदद से कोच की कलाई पर राखी बांध रही हैं। वीडियो देखने के बाद कई लोगों ने इमोशनल कमेंट किए। लोग कह रहे हैं कि कोच का सम्मान हो तो ऐसा। बता दें कि 19 अगस्त को रक्षाबंधन का पर्व मनाया गया था। शीतल का जन्म 2007 में जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के एक साधारण परिवार में हुआ। उन्हें जन्म से फोकोमेलिया नामक एक दुर्लभ विकार था, जिसकी वजह से अंग अविकसित रह जाते हैं। इस बीमारी के कारण शीतल के हाथ विकसित नहीं हो पाए।
शीतल ने पैरालंपिक में राकेश कुमार के साथ मेडल हासिल किया। भारतीय जोड़ी ने सेमीफाइनल में हार की निराशा से उबरते हुए इटली के मातेओ बोनासिना और एलेओनोरा सारती को 156.155 से हराकर कांस्य जीता। भारत को जीत तब मिली जब 17 वर्ष की शीतल का शॉट रिविजन के बाद अपग्रेड कर दिया गया । चार तीर बाकी रहते भारतीय जोड़ी एक अंक से पिछड़ रही थी लेकिन आखिर में संयम के साथ खेलते हुए जीत दर्ज की। शीतल पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला तीरंदाज हैं। शीतल ने जब इतिहास रचा तो उनके कोच वेदवान दीर्घा में थे।