69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों का आंदोलन भारी बारिश के बीच भी बुधवार को लखनऊ में जारी रहा। लगातार मंत्रियों और भाजपा नेताओं के घर के बाहर अभ्यर्थी प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार से आश्वासन जल्द पूरा करने की मांग कर रहे हैं। इस बीच समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बारिश में भींगते अभ्यर्थियों का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट करते हुए उनके आंदोलन को धार देने की तरकीब बताई है। यह भी कहा कि सरकार नई मेरिट लिस्ट निकालने में देरी करके न सिर्फ इन अभ्यर्थियों के साथ अन्याय कर रही है बल्कि जो शिक्षक निकाले जाएंगे उन सबका भी मानसिक उत्पीड़न कर रही है।
अखिलेश यादव ने जो वीडियो पोस्ट किया है उसमें शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के आवास के बाहर भारी बारिश के बीच प्रदर्शन कर रहे हैं। इस वीडियो के साथ अखिलेश ने पत्र लिखने की स्टाइल में पोस्ट लिखा है। अखिलेश ने लिखा कि प्रिय शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों….69000 शिक्षक भर्ती मामले में आप बरसते पानी में उनके सामने अपना स्वास्थ्य ख़राब न करें, जिनकी आंख का पानी मर चुका है।
सच तो ये है कि भाजपा न पहले नौकरी देने के पक्ष में थी, न अब है। नई सूची निकालने में देरी, दरअसल प्रभावित होने वाले दोनों पक्षों के साथ एक छल है। इससे चयनित होने वाले अभ्यर्थियों के साथ ही जो निकाले जाएंगे उन सबका भी मानसिक उत्पीड़न निरंतर बढ़ रहा है।
इस पत्र में भी अखिलेश ने बुलडोजर की एंट्री कराते हुए पूछा कि आप दोनों पक्ष ये मानकर चलें कि ये सरकार किसी के साथ भी न्याय नहीं करनेवाली। कुरेद-कुरेदकर दूसरों की कमियां ढूंढकर बुलडोज़र चलवाने वाले भाजपाई अपनी सरकार की इतनी बड़ी धांधली के लिए किसका घर गिरवाएंगे? आप देखियेगा ये नियुक्तियां या तो सरकार की तरफ से हीलाहवाली से लड़े जाने वाले मुक़दमों का शिकार हो जाएंगी या फिर लालफ़ीताशाही का। अखिलेश ने आगे लिखा कि जिनका जीवन दान-चंदे व भ्रष्टाचार के बल पर चलता हो, वो क्या जानें कि एक घर-परिवार के लिए हर महीने मिलने वाले ईमानदारी से कमाए वेतन का क्या महत्व है।
इसके साथ ही अखिलेश ने आंदोलन को धार देने की तरकीब भी बताई। कहा कि एक बार फिर निवेदन है कि आप अपने घर, परिवार, माता-पिता, बच्चों व जनता को अपने साथ लेकर ये संघर्ष करें, जिससे शायद इन हृदयहीन-असंवेदनशील भाजपाइयों में ये डर पैदा हो कि वो जहाँ जाएंगे, वहाँ उन्हें विरोध झेलना पड़ेगा, तो हो सकता है, वो कूटनीति छोड़कर सच में दोनों पक्षों को नौकरी दे पायें। यही सच्चा और सही इंसाफ़ होगा। ध्यान रखें कि भाजपा सरकार दोनों पक्षों को आमने-सामने करके, आपके आंदोलन को अंदर से कमज़ोर करने व तोड़ने की अपनी परंपरागत नीति में सफल न हो।
इसलिए सलाह है कि एक नयी तरह की एकजुटता दिखाएं और सफलता पाएं! ऐसे लोगों से उम्मीद रखना बेमानी है ‘जिनकी’ आँख का मर गया पानी है। आपके संघर्ष में आपके साथ! आपका अखिलेश।
गौरतलब है कि अभ्यर्थियों ने मेरिट लिस्ट में गड़बड़ी कर पिछड़ों और दलितों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया था। इसे लेकर चार साल से आंदोलन करने के साथ ही हाईकोर्ट में भी याचिका डाली थी। हाईकोर्ट ने अभ्यर्थियों के आरोपों को सही माना और सरकार को नई मेरिट लिस्ट जारी कर नियुक्ति पत्र देने का आदेश दिया था। सरकार ने भी हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार मेरिट लिस्ट निकालने का आश्वासन दिया है। इस आश्वासन के बाद भी मेरिट लिस्ट निकालने में हो रही देरी के कारण आंदोलन दोबारा बढ़ रहा है। अभ्यर्थियों का आरोप है कि सरकार न्याय नहीं करना चाहती है। वह चाहती है कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लिस्ट हो जाए और फिर कई साल तक इसी तरह उन लोगों को झेलना पड़े।