Gorakhpur University: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलॉजी विभाग में सोमवार को घमासान मच गया। सीनियर प्रोफेसर जोन्नाडा एवी प्रसादा राव ने डीडीयू प्रशासन पर मनमानी कर चार दिन का वेतन काटने का आरोप लगाते हुए हंगामा खड़ा कर दिया। सुबह 9 बजे पहुंचकर विभाग का गेट बंद कर दिया। गेट खोलने गए चीफ प्रॉक्टर प्रो. सतीश चन्द्र पाण्डेय से धक्का-मुक्की की तस्वीरें वायरल हो रही हैं। कुलसचिव और डीन साइंस प्रो. शांतनु रस्तोगी से भी जमकर बहस हुई। डीडीयू प्रशासन ने प्रो. राव को निलंबित कर दिया है।
बायोटेक्नोलॉजी विभाग में पहुंचकर प्रोफेसर द्वारा हंगामा करने की सूचना के बाद कैंट थाने की पुलिस को सूचना दी गई। इसके बाद पुलिस और एलआईयू की टीम वहां पहुंची। इस दौरान विभिन्न विभागों के शिक्षक भी वहां पहुंचकर प्रो. जोन्नाडा से बात करते दिखे। बताते हैं कि प्रो. दिनेश यादव अपने रिसर्च लैब में विद्यार्थियों के साथ शोध कार्य कर रहे थे। वहां पहुंचकर बहस शुरू कर दी। इसके बाद प्रो. दिनेश और विद्यार्थी बाहर निकल आए। इसके बाद कर्मचारियों से गेट बंद कराकर प्रो. जोन्नाडा गेट पर ही खड़े हो गए। सुबह करीब साढ़े 10 बजे के बाद छात्रों के पहुंचने पर हंगामा बढ़ने लगा। इस बीच छात्रों और सम्बंधित शिक्षकों को ही कक्षाओं में जाने के लिए प्रो. जोन्नाडा ने छूट दी। इसके बाद ही शिक्षक और कर्मचारी बायोमीट्रिक हाजिरी लगा सके।
बायोटेक्नोलॉजी के प्रो. जोन्नाडा के मुताबिक पिछले दो वर्षों से उनका ऑनलाइन आईडी और पासवर्ड ब्लॉक कर दिया गया है। इसी वजह से समर्थ पोर्टल पर भी वे छुट्टी के लिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। इस वजह से उन्हें छुट्टी के लिए ऑफलाइन आवेदन करना होता है। बीते 20 से 23 अगस्त तक वे अवकाश पर थे। उन्होंने इस अवकाश के सम्बंध में विभागीय कर्मचारी को आवेदन पत्र देकर विभागाध्यक्ष को सौंपने के लिए कहा था। अब वेतन जारी होने पर पता चला कि चार दिन का सीएल स्वीकृत नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा, तब तक वे यहां से हटेंगे नहीं। उन्होंने डीडीयू प्रशासन पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं।
कुलपति को समस्याओं को लेकर 69 बार भेजा रिमाइंडर प्रो. जोन्नाडा ने दावा किया कि उन्होंने कई समस्याओं को लेकर कुलपति को एक साल पहले पत्र लिखा था। उसके बाद 69 बार रिमाइंडर भेज चुके हैं। लेकिन उनकी समस्याओं का संज्ञान नहीं लिया जा रहा है।
बोले कुलसचिव
कुलसचिव प्रो. शांतनु रस्तोगी के मुताबिक, करीब दो वर्ष पूर्व तत्कालीन कुलपति प्रो. राजेश सिंह के कार्यकाल से ही इनकी आईडी व पासवर्ड ब्लॉक थी। पूर्व कुलपति के कार्यकाल में 11 दिनों का वेतन बाधित हुआ था। वर्तमान कुलपति के आदेश पर वह वेतन जारी किया गया था। समर्थ पोर्टल पर कार्य शुरू होने के बाद आईडी और पासवर्ड प्रो. जोन्नाडा के ईमेल पर भेज दी गई थी। अवकाश का आवेदन भी प्रो. जोन्नाडा के लौटने के बाद प्राप्त हुआ है।
इन आरोपों में प्रोफेसर को किया गया निलंबित
डीडीयू प्रशासन ने निलंबन के सम्बंध में जारी विज्ञप्ति में आरोप लगाया है कि प्रो. जोन्नाडा ने सुबह कार्यालय खुलने के समय विभागीय, शैक्षणिक एवं कार्यालयी कार्यों में बाधा उत्पन्न की। रिसर्च लैब में कार्य कर रहे एक प्रोफेसर को अपशब्द कहते हुए लैब के दरवाजे को लात मारकर क्षतिग्रस्त कर बाहर निकलने पर विवश कर दिया। उसके बाद विभाग के गेट पर ताला जड़कर विद्यार्थियों और अन्य विभागीय शिक्षकों का विभाग में प्रवेश कार्य अवरूद्ध कर दिया। कुलपति के आदेश के अनुपालन में विश्वविद्यालय परिनियम के प्रावधानों के तहत प्रो. जोन्नाडा को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। उन्हें नियंता कार्यालय से सम्बद्ध कर दिया गया है। विभाग में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया है।
बायोटेक्नोलॉजी विभाग के बाहर धरने पर बैठे प्रो. जोन्नाडा
प्रो. जोन्नाडा विभागीय गेट के सामने सुबह बैठे तो फिर जमे ही रहे। शाम ढलने के बाद भी विभागीय गेट बंद नहीं होने पर नियंता मंडल के सदस्य और पुलिसकर्मी वहां फिर पहुंचे। रात करीब आठ बजे के बाद बायोटेक्नोलॉजी विभाग बंद हुआ। बताते हैं कि वहां से पुलिसकर्मियों ने उन्हें कड़ी मशक्कत के बाद वहां से निकाला।