सोनभद्र, संवाददाता। चोपन ब्लाक के कोटा क्षेत्र से पूर्व में जिला पंचायत सदस्य रह चुके सुभाष पाल के जाति प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया गया है। वह पिछड़ी जाति होते हुए धनगर (अनुसूचित) जाति का प्रमाण पत्र बनवा लिए थे। जिसके बाद डीएम बीएन सिंह के नेतृत्व वाली जिला स्तरीय स्क्रूटनी कमेटी की तरफ से कराए गए जांच में वह अनुसूचित की जगह पिछड़ा वर्ग के पाए गए।
कोटा डाला बाजार निवासी सुभाष पाल ने हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी। जिसमें कहा गया था कि 25 फरवरी 2019 की आख्या के क्रम में सुभाष पाल के नाम तहसीलदार स्तर से धनगर जाति (अनुसूचित जाति) का जाति प्रमाण पत्र जारी किया गया था, जिसे बगैर सुनवाई का मौका दिए तहसीलदार स्तर से ही 12 अप्रैल 2021 को निरस्त कर दिया गया। इस पर हाईकोर्ट ने 17 फरवरी 2023 को डीएम की अध्यक्षता वाली जिला स्क्रूटनी कमेटी को मामले का गुणावगुण के आधार पर, सुनवाई का अवसर देते हुए प्रकरण का निस्तारण करने का आदेश दिया था। जिसके बाद प्रकरण को लेकर स्थानीय स्तर पर जांच कराई गई। स्थानीय लोगों की तरफ से दिए गए बयान के आधार पर पाया गया कि सुभाष पाल की जाति गड़ेरिया (पिछड़ी वर्ग) है। राबटर्सगंज के अमिरती कालोनी में क्रय की गई जमीन में भी सुभाष को गड़ेरिया (पाल) अंकित पाया गया। कोटा गांव में विक्रय की गई जमीन में भी पिछड़ी जाति अंकित मिली। राजस्व अभिलेख 1359 फसली एवं नागरिक रजिस्टर की भी जांच में पिछड़ी जाति की ही पुष्टि हुई। तहसीलदार ओबरा की तरफ से अभिलेखीय और स्थलीय सत्यापन में भी सुभाष पाल को पिछड़ी जाति की होने की पुष्टि की गई। रिश्तेदारी के संबंधों के जरिए भी अनुसूचित की बजाय पिछड़ा वर्ग होने की बात पर मुहर लगाई गई। जिला स्तरीय स्कूटनी कमेटी की तरफ से दिए गए निष्कर्ष को दृष्टिगत रखते हुए डीएम की तरफ से जाति प्रमाणपत्र निरस्त कर दिया गया है।
हाईकोर्ट के आदेश पर मामले का परीक्षण किया गया। जांच के बाद उसके अनुरूप निर्णय लिया गया है।
– बीएन सिंह, जिलाधिकारी।