Research in RMRC: उत्तर प्रदेश में खासकर पूर्वांचल की बीमारियों के कारण की पहचान और उनके इलाज के लिए रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर (आरएमआरसी) वृहद रिसर्च कराएगा। इसके लिए आरएमआरसी ने पीएचडी कार्यक्रम शुरू किया है। इंसेफेलाइटिस, डेंगू, मलेरिया, टीबी और गैर संचारी रोग से जुड़े विषयों पर पीएचडी होगी। प्रदेश में पहली बार आरएमआरसी रिसर्च के लिए पीएचडी का कोर्स संचालित करने जा रहा है। इस कोर्स में 10 छात्र वर्ष भर में प्रवेश लेंगे।
नवसृजित कोर्स में इस महीने पांच छात्रों का प्रवेश लिया जाएगा। इन्हें डेंगू, इंफेलाइटिस, टीबी, गैर संचारी और संचारी रोगों पर रिसर्च करना होगा। छह महीने बाद पांच और छात्रों का चयन इस कोर्स में होगा। यह प्रदेश के चिकित्सा शोध संस्थानों में अपनी तरह का अनोखा पीएचडी कार्यक्रम होगा। इसमें बीमारियों की वजह तलाशने के साथ इलाज के लिए शोध किया जाएगा।
शोध के हैं पांच बिंदु
आरएमआरसी के निदेशक डॉ. कृष्णा पांडेय ने बताया कि गोरखपुर के पाली और लखनऊ के नगराम में मेडिकल रिसर्च यूनिट स्थापित की जा रही है। यहां से सूबे के ग्रामीण इलाकों में फैली बीमारियों के कारणों की तलाश का प्लेटफार्म मिलेगा। आरएमआरसी ने इस समय पीएचडी छात्रों के लिए बीमारियों पर रिसर्च के पांच कोर ईश्यू तय किए हैं। इनमें इंसेफेलाइटिस, डेंगू, टीबी, गैर संचारी रोग और अन्य बीमारियां शामिल हैं। किसी एक क्षेत्र में बीमारी क्यूं ज्यादा प्रसार कर रही है, उसके कारणों की पहचान के साथ ही शोधार्थी निदान के उपाय भी सुझाएंगे।
कीट विज्ञानी का कोर्स करा रहा है आरएमआरसी
मच्छर और मक्खियों से होने वाली बीमारियों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। इस पर नियंत्रण के लिए सूबे में कीट विज्ञानियों की कमी है। आरएमआरसी इंट्रोमोलॉजिस्ट (कीट विज्ञान) में परास्नातक का कोर्स भी संचालित कर रहा है। इसमें 15 सीटें हैं। यह कोर्स देश के चुनिंदा संस्थानों में ही संचालित होता है। देशभर में इस कोर्स की मांग है।