पेरिस पैरालंपिक के दूसरा दिन भारतीय एथलीट्स का प्रदर्शन शानदार रहा। शूटिंग में भारत ने तीन तो एथलेटिक्स में एक पदक जीता। इन चार पदकों के साथ भारत पेरिस पैरालंपिक 2024 की मेडल टैली में 17वें पायदान पर पहुंच गया है। ‘वंडर गर्ल’ अवनि लेखरा पैरालंपिक में दो गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं। उन्होंने पेरिस से पहले टोक्यो पैरालंपिक में भी महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल (एसएच 1) स्पर्धा में गोल्ड जीता था। वहीं मोना अग्रवाल ने इस स्पर्धा का कांस्य पदक जीतकर दिन को यादगार बनाया। भारत के पैरालंपिक इतिहास में पहली बार दो निशानेबाजों ने एक ही इवेंट में पदक जीते हैं।
वहीं मनीष नरवाल पुरूषों की 10 मीटर एयर पिस्टल (एसएच 1) स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने से चूक गए और उन्हें सिल्वर से ही संतोष करना पड़ा, लेकिन प्रीति पाल ने महिलाओं की टी35 वर्ग की 100 मीटर स्पर्धा में 14.21 सेकेंड के व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय से ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारत को पैरालंपिक की ट्रैक स्पर्धा में पहला एथलेटिक्स पदक दिलाया।
पैरालांकि में मेडल टैली में पोजिशन गोल्ड मेडल के आधार पर तय की जाती है। दूसरे दिन के बाद चीन 12 गोल्ड के साथ टॉप पर है, वहीं ग्रेट ब्रिटेन के खाते में आधा दर्जन गोल्ड है। भारत 1 गोल्ड के साथ 17वें पायदान पर है।
पेरिस पैरालंपिक 2024 मेडल टैली
देश | गोल्ड | सिल्वर | ब्रॉन्ज | कुल मेडल |
चीन | 12 | 9 | 4 | 25 |
ग्रेट ब्रिटेन | 6 | 6 | 3 | 15 |
ब्राजील | 5 | 1 | 7 | 13 |
नीदरलैंड्स | 4 | 1 | 1 | 6 |
इटली | 3 | 2 | 8 | 13 |
ऑस्ट्रेलिया | 3 | 2 | 2 | 7 |
फ्रांस | 2 | 5 | 2 | 9 |
उज्बेकिस्तान | 2 | 2 | 2 | 6 |
भारत (17वें पायदान पर) | 1 | 1 | 2 | 4 |
तीन साल पहले टोक्यो में गोल्ड जीतने वाली 22 वर्ष की अवनि ने 249.7 का स्कोर करके अपना ही 249.6 का पुराना रिकॉर्ड ध्वस्त किया। वहीं शॉटपुट, पावरलिफ्टिंग और व्हीलचेयर वॉलीबॉल के बाद दो साल पहले निशानेबाजी में पदार्पण करने वाली मोना ने 228.7 के स्कोर के साथ कांस्य पदक जीता।
जयपुर की रहने वाली अवनि पैरालम्पिक से पहले स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थीं। उनकी पित्त की थैली की सर्जरी हुई जिसकी वजह से उन्हें डेढ महीने ब्रेक लेना पड़ा था। सर्जरी की वजह से उनका काफी वजन भी कम हुआ लेकिन तमाम कठिनाइयों का डटकर सामना करते हुए उन्होंने पेरिस में भारत का परचम लहराया।
उन्होंने कहा ,‘‘मैं देश के लिये पदक जीतकर खुश हूं। अपनी टीम, अपने कोचों और अपने परिवार को धन्यवाद देना चाहती हूं।’’
11 साल की उम्र में कार दुर्घटना में कमर के नीचे के हिस्से में लकवा मारने के कारण अवनि व्हीलचेयर पर निर्भर हैं। वह टोक्यो पैरालम्पिक में निशानेबाजी में पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला निशानेबाज बनी थी।
एसएच 1 वर्ग में वे खिलाड़ी होते हैं जिनकी बाजुओं, कमर के निचले हिस्से , पैरों में विकृति होती है या उनकी बाजू नहीं होती है ।