नई दिल्ली. बॉलीवुड फिल्मों के कई डायलॉग्स हैं, जिन्हें लोग अक्सर अपनी आम जिंदगी में भी खूब बोलते हैं. 21वीं सदी में भी पुराने दौर की फिल्मों के डायलॉग्स खूब बोले जाते हैं. साल 1975 में हिंदी सिनेमा के इतिहास में कई उपलब्धियों को लिख गया. एक के बाद एक कई फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर गदर मचाया. इसी साल एक फिल्म रिलीज हुई, जिसका नाम है ‘दीवार’. अमिताभ बच्चन, शशि कपूर, नीतू सिंह, निरूपा रॉय और परवीन बाबी जैसे दिग्गज कलाकारों से सजी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कमाई की. फिल्म में शशि कपूर का एक डायलॉग ‘मेरे पास मां है’ तो पीढ़ी दर पीढ़ी पसंद किया जाता रहा है और यह आज भी फिल्म निर्माताओं को प्रभावित करता है. अब इस डायलॉग के साथ जावेद अख्तर ने महिलाओं की स्थिती पर तंज कसा है.
‘मेरे पास मां है’ डायलॉग के साथ हाल ही में स्टार राइटर जावेद अख्तर ने बयां किया कि मां की छवि अभी भी प्रासंगिक है, लेकिन इसके नाटकीय उपयोग को मौत के घाट उतार दिया गया है. उन्होंने ऐसे पात्रों को आकर्षक बनाए रखने के लिए समसामयिक प्रतिनिधित्व की जरूरत पर जोर दिया.
‘मां की छवि अभी भी प्रासंगिक है’
जावेद अख्तर हाल ही में इंडियन एक्टप्रेस के एक कार्यक्रम में पहुंचे, जहां उन्होंने अपने इस डायलॉग के साथ बताया कैसे लोगों ने मां को स्टीरियोटाइप कर दिया है. बातचीत में जावेद अख्तर ने स्वीकार किया कि मां की छवि अभी भी प्रासंगिक है, लेकिन इसका नाटकीय उपयोग मौत के घाट उतार दिया गया है.
लोगों ने मां को स्टीरियोटाइप कर दिया है: जावेद अख्तर
उन्होंने कहा, ‘यह पीढ़ी घिसी-पिटी बातों से थक चुकी है. मां वैध है, यह अभी भी एक मुद्रा है लेकिन इसके आसपास की बातचीत मायने रखती है. यदि आप लिखते हैं, ‘मां मैं तेरी पूजा करता हूं’, तो अब यह काम नहीं करेगा. तो आपको मां को समसामयिक अंदाज में दिखाना होगा. इसके साथ अति न करें. ‘मेरी पास मां है’ अभी भी काम कर सकता है क्योंकि यह कोई जटिल संवाद नहीं है, लेकिन जिस तरह से लोगों ने मां को स्टीरियोटाइप कर दिया है और इसका इतना इस्तेमाल किया है कि लोग इससे विमुख हो गए हैं.’
मेरी मा का सम्मान लेकिन मेरे बच्चों की मां का क्या?
जावेद अख्तर ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि जिन समाजों में मां को महत्व दिया जाता है, वे आम तौर पर महिलाओं के प्रति खराब व्यवहार का संकेत कैसे दे सकते हैं. उन्होंने कहा, किसी भी समाज में जहां मां को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है, इसका मतलब है कि महिलाएं खराब स्थिति में हैं. वे मुसीबत में हैं. ‘मां की पूजा होनी चाहिए.’ लेकिन उन महिलाओं का क्या जिनकी आप पूजा नहीं करते, जिनमें संयोग से आपकी पत्नी भी शामिल है. ठीक है, लोगों को मेरी मां का सम्मान करना चाहिए लेकिन मेरे बच्चों की मां का क्या? ये सब बकवास है. उन्होंने सिर्फ माताओं पर इतना अधिक ध्यान दिया ताकि वो दूसरी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार कर सकें.
1975 की चौथी सबसे ज्यादा कमाई वाली फिल्म थी ‘दीवार’
आपको बता दें कि फिल्म ‘दीवार’ की कहानी को सलीम-जावेद की जोड़ी ने लिखा था. ये एक एक्शन क्राइम फिल्म थी, जो यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित थी. फिल्म 100 हफ्तों से ज्यादा समय तक सिनेमाघरों में टिकी रही थी. ये साल 1975 की चौथी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी थी.
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FIRST PUBLISHED : August 30, 2024, 08:44 IST