देवरिया के बरहज कान्हा गौशाला में गुरुवार को मृत पशुओं का कंकाल मिलने से हड़कंप मच गया। पशुओं को गौशाला परिसर में गाड़े जाने का वीडियो वायरल हुआ तो बात अफसरों तक पहुंची। गौशाला संचालक ने चार पशुओं के गाड़े जाने की बात स्वीकार की है। गुरुवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होने लगा। वीडियो में पैना रोड स्थित गौशाला में पशुओं की मौत और फिर उसे परिसर में ही जेसीबी से गड्ढा खोदकर उन्हें गाड़ते हुए दिखाया गया था। इस वायरल हो रहे वीडियो के सत्यता की पुष्टि हिन्दुस्तान नहीं करता है। वायरल वीडियो की जानकारी होने पर डीएम दिव्या मित्तल ने मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को जांच का निर्देश दिया। उनके निर्देश पर उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी बरहज डा राजेश मोहन, अधिशासी अधिकारी निरुपमा प्रताप, खण्ड विकास अधिकारी तारकेश्वरनाथ तिवारी, पशु चिकित्सा अधिकारी डा. कंचन लता, पशुधन प्रसार अधिकारी अशोक पांडेय के साथ कान्हा गौशाला पहुंचे।
दो घण्टे तक जांच चली। जांच के दौरान चहारदीवारी के निकट गाड़े गए कुछ पशुओं के कंकाल प्रांगण में मिले। कान्हा गौशाला के संचालक अरविंद कुमार से यह पूछने पर कि यह कंकाल कहाँ से आये? पहले तो उसने आनाकानी की किंतु अधिकारियों की सख्ती करने पर बताया कि कुछ दिन पूर्व चार पशुओं को यहां गाड़ा गया था।
उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी बरहज डॉ. राजेश मोहन ने बताया कि बरहज स्थित कान्हा गौशाला में करीब 266 पशु है। निरीक्षण के दौरान कई पशु बीमार मिले। बीमार पशुओं का इलाज करने के लिए डा कंचन लता और पशुधन प्रसार अधिकारी अशोक पांडेय को निर्देशित किया। मृत पशुओं को प्रांगण में गाड़ने के बारे में जब ईओ से पूछा गया तो उन्होंने कहा कैंपस के अंदर गाड़ने का निर्देश नही है। गौशाला संचालक ने चार पशुओं को गाड़ कर गलती की है। घटना की पूरी जानकारी जिलाधिकारी को दी जा रही है।
सीवीओ अरविंद कुमार वैश्य ने बताया कि वायरल वीडियो में कान्हा गौशाला बरहज में मरे हुए पशुओं को गौशाला के अन्दर गाड़ने के सम्बन्ध में संयुक्त टीम द्वारा जांच की गई, जिसमें में पाया गया कि 17 अगस्त को रात में 10 बजे गेट के मुख्य द्वार पर बाहर चार पशुओं को कोई व्यक्ति अस्वस्थ और भीगी हुई दशा में छोड़कर चला गया था। जिसमें दो पशुओं की रात में ही मृत्यु हो गई थी और सुबह एक बछिया और एक बाछे की मृत्यु हो गई। बारिश होने के कारण मरे हुए पशुओं को निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार गौशाला में ही अंतिम संस्कार कर दिया गया था क्योंकि सामान्तया जहां पर पशुओं का अंतिम संस्कार किया जाता है, वहाँ बाढ का पानी भरा हुआ था।