नई दिल्ली: लोकसभा चुनावों के शुरू होने से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विपक्षी दल संविधान को लेकर गंभीर आरोप लगाते रहे हैं। कांग्रेस समेत लगभग सभी विपक्षी दलों का आरोप है कि अगर प्रधानमंत्री लगातार तीसरी बार सत्ता में आते हैं तो वह संविधान को बदलकर रख देंगे। बता दें कि मध्य प्रदेश के भिंड जिले में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने दावा किया कि अगर बीजेपी केंद्र की सत्ता में लौटती है तो वह गरीबों, दलितों, आदिवासियों और ओबीसी को अधिकार देने वाले संविधान को फाड़ कर फेंक देगी। हालांकि देश का संविधान लागू होने के 60 साल पूरे होने के मौके पर पीएम मोदी ने जो किया था, वह कुछ अलग ही तस्वीर पेश करता है।
हाथी पर संविधान की प्रति रखकर निकाली गई थी भव्य सवारी
संविधान लागू होने के 60 साल पूरे होने के मौके पर गुजरात के सुरेंद्रनगर में संविधान की प्रति को हाथी पर रखकर एक भव्य यात्रा निकाली गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो कि तब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, भी इस यात्रा में शामिल हुए थे। प्रधानमंत्री ने इस घटना को याद करते हुए एक बार कहा था, ‘2010 में, संविधान के 60 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में, हमने गुजरात के सुरेंद्रनगर में संविधान गौरव यात्रा का आयोजन किया। संविधान की प्रतिकृति को एक हाथी पर रखा गया था और जुलूस ने शहर के कुछ हिस्सों को कवर किया। मैं भी उस जुलूस में चला। यह एक अनोखी श्रद्धांजलि थी!’ इस घटना से पता चलता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संविधान को किस हद तक महत्व देते हैं।
‘संविधान के 75 वर्ष का उत्सव व्यापक स्तर पर मनाएंगे’
तेलंगाना में मंगलवार को एक जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने सरकार चलाने के लिए संविधान को ‘धर्म ग्रंथ’ बताते हुए याद दिलाया कि पदभार संभालने के बाद 2014 में संसद में प्रवेश करते समय उन्होंने इसे नमन किया था। मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस का ‘शाही परिवार’ पार्टी के संविधान को भी मानने के लिए तैयार नहीं था और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी को ‘बाथरूम में बंद कर दिया गया’ और ‘फुटपाथ पर फेंक दिया गया’ तथा ‘शाही परिवार’ ने कांग्रेस के संविधान की परवाह किये बिना पार्टी पर कब्जा कर लिया। रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने भरोसा जताया कि वह (केंद्र में) अपने तीसरे कार्यकाल में, संविधान के 75 वर्ष का उत्सव व्यापक स्तर पर मनाएंगे।