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Patanjali Case In Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन मामले में योग गुरु बाब रामदेव, उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा समाचार पत्रों में प्रकाशित बिना शर्त सार्वजनिक माफी में ‘उल्लेखनीय सुधार’ की मंगलवार को सराहना की। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानउल्लाह की पीठ ने मंगलवार को बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की ओर से कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी से कहा कि माफी की भाषा ठीक है और उनमें नाम भी मौजूद हैं।
जस्टिस अमानउल्लाह ने कहा, ‘‘मैं नहीं जानता कि दूसरा माफीनामा किसकी पड़ताल पर है लेकिन इसमें उल्लेखनीय सुधार हुआ है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम इसकी सराहना करते हैं। अब आखिरकार वे समझ गए।’’ उन्होंने कहा कि इससे पहले जब माफी प्रकाशित की गई थी, तब केवल कंपनी का नाम ही उसमें दिया गया था।
जस्टिस अमानउल्लाह ने कहा, ‘‘अब नाम भी छपे हैं। यह एक उल्लेखनीय सुधार है, हम इसकी सराहना करते हैं। भाषा भी ठीक है।’’ सुनवाई के दौरान, शीर्ष अदालत ने औषधि कंपनी के वकील से पूछा कि समाचार पत्रों में प्रकाशित माफी को उन्होंने डिजिटल माध्यम से क्यों दाखिल किया, जबकि 23 अप्रैल को न्यायालय ने विशेष रूप से कहा था कि मूल प्रति दाखिल करनी है।
जस्टिस हिमा कोहली ने कहा, ‘‘यह हमारे आदेश का अनुपालन नहीं है।’’इस पर जस्टिस अमानउल्लाह ने कहा, ‘‘मिस्टर रोहतगी, लगता है मेरी बात आप तक नहीं पहुंच पाई..। हद हो गई।’’
पीठ ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि पतंजलि के वकील ने स्वीकार किया है कि न्यायालय द्वारा पारित आदेश को समझने में गलतफहमी हुई और जिन समाचार पत्रों में माफीनामा प्रकाशित किया गया है, उनमें से प्रत्येक के मूल पृष्ठ दाखिल करने के लिए एक और अवसर दिया जाना चाहिए। इसके बाद पीठ ने कहा, ‘‘रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाता है कि यह दस्तावेज दाखिल किये जाने पर उसे स्वीकार कर लिया जाए।’’
कोर्ट ने कहा कि अब मामले में अगली सुनवाई 7 मई को होगी। इस पर रोहतगी ने अगली तारीख पर रामदेव और बालकृष्ण को न्यायालय में उपस्थित होने से छूट देने का अनुरोध किया। पहले से ही बाबा रामदेव और पतंजलि के कदम से थोड़े संतुष्ट दिख रही पीठ ने उन दोनों को सुनवाई की अगली तारीख यानी 7 मई को पेशी से छूट दे दी।
बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) द्वारा 2022 में दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि बाबा रामदेव और पतंजलि की तरफ से कोविड टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा पद्धति को बदनाम करने का अभियान चलाया गया था। शीर्ष अदालत ने 23 अप्रैल को मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि समाचार पत्रों में प्रकाशित सार्वजनिक माफी रिकॉर्ड में नहीं हैं। न्यायालय ने तब दो दिन के अंदर इसे दाखिल करने का निर्देश दिया था।