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Electricity News: बिजली विभाग आशंका के आधार पर अब उपभोक्ता के खिलाफ बिजली चोरी का मुकदमा दर्ज नहीं करा पाएगा। चेकिंग के दौरान यदि किसी उपभोक्ता के परिसर की सर्विस केबल कटी है या फिर मीटर की बॉडी टूटी मिलना बिजली चोरी के साक्ष्य नहीं है। ऐसे मामलों में लेसा कर्मचारी पुरानी सर्विस केबल को बदलकर आर्मर्ड केबल के माध्यम से नये मीटर को परिसर के बाहर स्थापित करेंगे। साथ ही अगले तीन माह के बिजली उपभोग की तुलना पिछले वर्ष सामान महीनों के उपभोग से करके असिस्मेंट बिल बनाएंगे।
नवविकसित क्षेत्रों में बिजली कनेक्शन के लिए अब किसी से एनओसी की जरूरत नहीं होगी। विभाग आवेदक को परिसर से निकट की लाइन से एक्सटेंशन के लिए न्यूनतम एस्टीमेट पर कनेक्शन देगा। मध्यांचल विद्युत निगम के एमडी भवानी सिंह ने गत शनिवार को मुख्य अभियंताओं (वितरण) के लिए आदेश जारी किया है। बिजली चेकिंग के नाम पर लेसा अब उपभोक्ताओं का शोषण नहीं कर सकेगा। किसी परिसर पर जांच के दौरान यदि सर्विस केबल एक अथवा अधिक स्थानों पर कटी है, तो बिजली चोरी का पर्याप्त साक्ष्य नहीं।
परिसर के बाहर आर्मर्ड केबल से नये मीटर लगाए जाएं
बिजली उपभोक्ता परिसर से उतारे गये मीटर की ब्रॉट-इन के आधार पर विद्युत अधिनियम की धारा-135 के अंतर्गत मीटर टेम्पर का केस करने से पूर्व लैब में मीटर की जांच की जाए। मीटर टेम्पर के प्रमाण के अभाव में केवल मीटर बॉडी सील टूटी होना या किसी एलईडी का लेग कटा होना अथवा मीटर में छेड़छाड़ का संदेह मात्र होना मुकदमें और असेसमेंट का पर्याप्त आधार नहीं है।
बिजली कनेक्शन के लिए एनओसी की जरूरत नहीं
मध्यांचल निगम के एमडी भवानी ने आदेश दिया कि बिजली लाइन के निर्माण के लिए चाहे पूर्व में किसी निजी आवेदक द्वारा जमा योजना में धनराशि जमा कराई गई हो। इसके बावजूद निर्मित लाइन अब डिस्ट्रीब्यूशन लाइसेंसी की संपत्ति है। डिस्ट्रीब्यूशन लाइसेंसी उससे किसी को भी विद्युत कनेक्शन दे सकता है। इलेक्ट्रिसिटी कोड में इसके लिए मूल जमाकर्ता की एनओसी (कंसेंट) लेने का कोई प्रावधान नहीं है।