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भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नामांकन में एक बार फिर ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ की झलक दिखाएगी। इस बार के लोकसभा चुनाव में सामाजिक समीकरण साधने के लिए पार्टी मोदी के प्रस्तावकों में सभी वर्गों को शामिल करेगी। काशी दौरे पर आए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से चर्चा के बाद 30 लोगों के नाम पार्टी हाईकमान व पीएमओ को भेज दिए गए हैं। इनमें चार नाम तय होने हैं। वाराणसी में सातवें व अंतिम चरण के मतदान के लिए सात मई को अधिसूचना जारी की जाएगी। 14 मई को नामांकन का अंतिम दिन होगा। तीसरी बार उम्मीदवार बनने जा रहे मोदी के नामांकन की भाजपा ने जोर-शोर से तैयारी शुरू कर दी है। नामांकन तिथि के लिए ज्योतिष गणना कराई जा रही है।
पद्म विभूषित के साथ स्वयं सहायता समूह की महिलाएं भीं
काशी क्षेत्र कमेटी ने प्रस्तावकों के बाबत 30 नामों की सूची शाह के समक्ष रखी गई थी। उनमें पद्म अलंकृत विभूति, शिक्षाविद्, साहित्यकार, सांस्कृतिककर्मी, ज्योतिषाचार्य, अर्चक-सेवादार, दलित, इंटप्रोन्योर युवा, स्वयं सहायता समूह की महिला, लाभार्थी और पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं के नाम शामिल हैं। शाह ने इन सभी नामों के बाबत पूरा फीडबैक लिया है।
एक दिन पहले मिलेगी सूचना
पार्टी हाईमान ने प्रस्तावकों के नाम गुप्त रखने की हिदायत दी है। साथ ही कहा है कि उनका और सत्यापन कराया जाये। इसके लिए संघ और पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं को लगाया गया है। पार्टी हाईकमान भी इन नामों का सत्यापन करेगा। प्रस्तावकों में जिनका नाम फाइनल होगा, उन्हें एक दिन पहले सूचना दी जाएगी।
2019 में डोमराजा भी थे प्रस्तावक
2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चार प्रस्तावकों में रमाशंकर पटेल थे, जो एक साइंटिस्ट हैं। दूसरी प्रस्तावक प्रो. अन्नपूर्णा शुक्ला थी जिन्हें महामना मालवीय की मानस पुत्री कहा जाता था। मोदी के तीसरे प्रस्तावक मणिकर्णिका घाट निवासी डोमराजा जगदीश चौधरी और चौथे प्रस्तावक सुभाष गुप्ता थे, जो पार्टी के काफी पुराने कार्यकर्ता हैं। अन्नापूर्णा शुक्ला और जगदीश चौधरी का निधन हो चुका है।
2014 में न्यायविद से लेकर मल्लाह
2014 के लोकसभा चुनाव में महामना मालवीय के पौत्र और हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज गिरिधर मालवीय सहित चार लोगों को नरेंद्र मोदी का प्रस्तावक बनाया गया था। जस्टिस मालवीय के अलावा पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र, शिवाला घाट के मल्लाह वीरभद्र निषाद और बुनकर अशोक कुमार को भी प्रस्तावक बनाया गया था। वीरभद्र निषाद अब नहीं रहे।