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Uttar Pradesh Politics Lok Sabha Poll: लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में शुक्रवार (26 अप्रैल) को 12 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश की कुल 88 सीटों पर वोटिंग होनी है। इस बीच, समाजवादी पार्टी के मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गुरुवार (25 अप्रैल) को काफी हां-ना और सियासी ड्रामे के बाद कन्नौज संसदीय सीट से नामांकन दाखिल कर दिया। इस दौरान उन्होंने लोगों से भाजपा को ‘क्लीन बोल्ड’ करने की अपील की। सपा ने इससे पहले मैनपुरी से पूर्व सांसद तेज प्रताप सिंह यादव को कन्नौज लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था लेकिन दूसरे दौर की वोटिंग आते-आते राज्य के सियासी समीकरण में फेरबदल होने लगे हैं।
कांग्रेस की तरफ से इस बात के संकेत मिलने शुरू हो गए हैं कि राहुल गांधी अमेठी संसदीय सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। वह इस सीट से 2004 से लगातार तीन बार सांसद रह चुके हैं। हालांकि, 2019 में उन्हें भाजपा की स्मृति ईरानी से मुंह की खानी पड़ी थी। इस बीच यह भी अटकलें लगाई जा रही थीं कि राहुल के जीजा रॉबर्ट वाड्रा अमेठी से चुनाव लड़ सकते हैं लेकिन अब अमेठी युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ने पार्टी की रणनीति का खुलासा करते हुए सस्पेंस से पर्दा उठाने की कोशिश की है कि राहुल के अलावा किसी और नाम पर पार्टी विचार नहीं कर रही है।
गांधी-नेहरू परिवार के लिए अमेठी और रायबरेली पुश्तैनी सीट और गढ़ रही है। रायबरेली से सोनिया गांधी वर्ष 2004 से ही जीतती रही हैं लेकिन अब वो राज्यसभा जा चुकी हैं। इसलिए इस बात की भी चर्चा जोरों पर है कि सोनिया की जगह अब राहुल की बहन प्रियंका गांधी वाड्रा रायबरेली से चुनाव लड़ सकती हैं। हालांकि, अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
अगर ऐसा होता है तो एनडीए गठबंधन के सबसे मजबूत चेहरे और भाजपा के उम्मीदवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बरक्स राज्य में INDIA अलायंस के त्रिमूर्ति (अखिलेश, राहुल और प्रियंका) चुनावी समीकरण और गणित को नई धार दे सकते हैं। जिस तरह सपा ने ये मानते हुए अपनी रणनीति में बदलाव किया कि अखिलेश के चुनाव लड़ने से वोटों का बिखराव नहीं होगा और जीत आसान होगी। इसके अलावा आस-पास की सीटों पर सपा के पक्ष में मजबूत हवा बन सकेगी।
इसी तरह राहुल और प्रियंका के उतरने से ना केवल अमेठी और रायबरेली में फिर से गांधी परिवार के प्रति मतदाताओं में एक लहर पैदा हो सकेगी बल्कि आस-पास की सीटों समेत राज्य में इंडिया अलायंस के पक्ष में हवा बन सकेगी। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा सांसद वरुण गांधी पहले ही रायबरेली सीट से चुनाव लड़ने से इनकार कर चुके हैं। दरअसल, पार्टी गांधी परिवार की उस पुश्तैनी सीट पर गांधी बनाम गांधी कराना चाहती थी लेकिन वरुण ने उस पर पानी फेर दिया।
माना जा रहा है कि इसका भी असर अमेठी-रायबरेली इलाके में मतदाताओं के दिल-दिमाग पर पड़ सकता है। जानकार कहते हैं कि राजनीति में कब कौन सा पाशा फेंकना है और कौन सा बयान देना है, इसके बहुत मायने होते हैं। संभवत: इसी को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने अभी तक अमेठी और रायबरेली सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है। दूसरी तरफ भाजपा ने भी अभी तक रायबरेली सीट पर अपने कैंडिडेट का खुलासा नहीं किया है। चर्चा है कि दूसरे चरण के चुनाव के बाद राहुल और प्रियंका की उम्मीदवारी का ऐलान हो सकता है। राहुल केरल की वायनाड सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जहां दूसरे चरण में वोटिंग होनी है।इस चुनाव को NDA बनाम INDIA अलायंस कहा जा रहा है। उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस के बीच क्रमश: 63 और 17 सीटों पर चुनाव लड़ने की सहमति बनी है।
बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनावों में अमेठी में राहुल गांधी को कुल 4,13,394 (43.86 फीसदी) वोट मिले थे, जबकि भाजपा की स्मृति ईरानी को कुल 4,68, 514 (49.71 फीसदी) वोट मिले थे। यानी दोनों के बीच हार-जीत का अंतर करीब 55 हजार वोटों का था। सपा-बसपा के गठबंधन ने अमेठी से उम्मीदवार नहीं उतारे थे। 2014 के आंकड़ों की बात करें तो राहुल गांधी ने स्मृति ईरानी से करीब एक लाख आठ हजार ज्यादा वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। भाजपा जहां प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे और विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही है, वहीं कांग्रेस महंगाई, बेरोजगारी, जातीय जनगणना और आरक्षण जैसे मुद्दों पर चुनावी रण में है। पिछले चुनावों में प्रियंका की महिला ब्रिगेड ने जमीनी रफ्तार पकड़ी थी लेकिन कोई जादू नहीं कर पाई थी। इस बार भाई-बहन की जोड़ी के उतरने से संभवत: सियासी मौसम करवट ले सकता है।