अमित कुमार/समस्तीपुर:- बिहार का तापमान लगातार बढ़ रहा है. कई जिलों में लू को लेकर अलर्ट जारी है. ऐसे में इससे बचने के लिए आप कई उपाय करते हैं. लेकिन अब लू आपका कुछ बिगाड़ नहीं सकता है, बस आपको मेंथा(पुदीना) की पत्ती से यह काम करना है. पुदीना अधिकांश घरों में पाई जाने वाली एक आम जड़ी-बूटी है, जो अपने जीवाणुरोधी गुणों और कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जानी जाती है. इसे गुणों का पावरहाउस माना जाता है और इसमें कई औषधिय गुण होते हैं.
पुदीने के पत्ते का शरबत, चटनी, साग के रूप में उपयोग करने से गर्मी में लू लगने की संभावना नहीं के बराबर रहती है. साथ ही पुदीना, प्याज का रस और नींबू का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से हैजा में फायदा होता है. इसी तरह पुदीने को जीरा, काली मिर्च और हींग के साथ मिलाकर सेवन करने से पेट दर्द से राहत मिल सकती है.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
डॉ.राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के मेडिसिनल प्लांट डिपार्मेंट में कार्यत विशेषज्ञ डॉक्टर दिनेश राय ने लोकल 18 को बताया कि मेंथा का पौधा औषधिय गुण से भरपूर है. इस पौधे के पत्ते का उपयोग हमें दैनिक जीवन में करना चाहिए. इसके उपयोग करने से गर्मी में लू लगने जैसी समस्या से लोगों को निजात मिलती है. इतना ही नहीं, हैजा और पेट दर्द जैसी बीमारियों के लिए इस पौधे का पत्ता रामबाण है. इसे लोग साग, सलाद,शरबत के रूप में भी सेवन कर सकते हैं. पुदीना का पत्ता का सेवन करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और लू लगने जैसी समस्या से बचा जा सकता है.
ये है पुदीना का इतिहास
मेंथा की उत्पत्ति का स्थान चीन को माना जाता है. इसके बाद इसे जापान में पेश किया गया और बाद में यह दुनिया भर के विभिन्न देशों में फैल गया. भारत को मेंथा जापान से प्राप्त होता था. इसलिए इसे जापानी पुदीना भी कहते हैं. यह फैलने वाला, बहुवर्षीय शाकीय पौधा है. हालांकि व्यापारिक जगत में जापानी पुदीने को ही मेंथा अथवा मिन्ट के नाम से जाना जाता है. लेकिन तकनीकी रूप से मेंथा शब्द पुदीने के एक समूह का प्रतिनिधित्व करता है. जिसमें पुदीने की कई प्रजातियाँ सम्मिलित हैं, जैसे-जापानी पुदीना या पिपर मिन्ट, बर्यामोट मिन्ट आदि.
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इसका तेल है काफी फायदेमंद
इसके ताजा शाक से तेल निकाला जाता है. ताजा शाक में तेल की मात्रा लगभग 0.8-100 प्रतिशत तक पायी जाती है. इसके तेल में मेन्थाल और मिथाइल एसीटेट आदि अवयव पाये जाते हैं. लेकिन मेन्थाल तेल का मुख्य घटक है. तेल में मेन्थाल की मात्रा लगभग 75-80 प्रतिशत होती है. इसके तेल का उपयोग कमरदर्द, सिरदर्द, श्वसन विकार के लिए औषधियों के निर्माण में किया जाता है. इसके अतिरिक्त इसके तेल का उपयोग सौन्दर्य प्रसाधनों, टुथपेस्ट, शेविंग क्रीम लोशन, टॉफी, च्यूंगम, कैन्डी, आदि बनाने में भी किया जाता है. इस प्रकार से कई प्रकार के उद्योगों में काम आने के कारण इसकी मांग बढ़ रही है.
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FIRST PUBLISHED : April 20, 2024, 10:59 IST
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