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मशहूर वकील महबूब प्राचा रामपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन वो ये चुनाव जीत या हार के बदले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में गड़बड़ी के आरोपों के पक्ष में पुख्ता सबूत जुटाने के लिए लड़ रहे हैं। रामपुर लोकसभा सीट पर 19 अप्रैल को पहले चरण में मतदान है जहां अखिलेश यादव की सपा ने दिल्ली की एक मस्जिद के इमाम मोहिबुल्लाह नदवी को लड़ाया है। भाजपा ने मौजूदा सांसद घनश्याम लोधी को दोबारा उतारा है जो सजा के कारण आजम खान के अयोग्य होने के बाद उप-चुनाव में सपा के आसिम रजा को हराकर पहली बार जीते थे। रामपुर सीट पर अब तक के 17 चुनाव में 9 बार जीत रामपुर नवाब के परिवार के सदस्यों को मिली है।
रामपुर सीट से निर्दलीय लड़ रहे महमूद प्राचा का कहना है कि वह ईवीएम से मतदान के खिलाफ पुख्ता सबूत जमा करने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने ईवीएम के खिलाफ अपनी लड़ाई में विपक्षी दलों के साथ नहीं देने पर अफसोस जताया। खुद को आंबेडकरवादी कहने वाले प्राचा ने कहा, “मेरा मानना है कि चुनाव कानूनन तभी वैध है, जब वह मतपत्र से हो। मेरे पास इसके सारे सबूत हैं। विपक्षी गठबंधन से राहुल गांधी और फारूख अब्दुल्ला ने ईवीएम के खिलाफ बात तो की लेकिन वह सड़कों पर नहीं आए।”
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महबूब प्राचा ने दावा किया, “आज तक ईवीएम के खिलाफ अदालत में कोई भी याचिका पक्के सबूत इकट्ठा करके नहीं डाली गई, इसी वजह से वे सभी खारिज हो गईं। चुनाव आयोग ईवीएम को किसी के हाथ में नहीं दे रहा है। इसलिए मेरे साथियों ने तय किया कि हम एक प्रत्याशी लड़ाएंगे, मगर ऐसी सीट से जहां अनुकूल समीकरण न होने पर भी भाजपा जीत चुकी हो। मेरे लड़ने के लिए रामपुर सीट इसीलिए चुनी गई है।”
प्राचा ने कहा, “हमने सभी से गुजारिश की थी कि हारी हुई रामपुर सीट को कम से कम इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के नाम पर छोड़ दिया जाए ताकि हम सबूत इकट्ठा करके एक मजबूत कानूनी लड़ाई लड़ सकें।” उन्होंने कहा कि उनके चुनाव लड़ने के तरीके से सीख लेकर बाकी सीटों पर भी लोग इसी तरह चुनाव लड़ेंगे ताकि ईवीएम से होने वाली धांधली और चोरी को पकड़ा जा सके। इस तरह से कौन चुनाव लड़ेंगे, इस सवाल पर प्राचा ने कहा कि वे सभी लोग जो भाजपा और आरएसएस के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।
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प्राचा ने आरोप लगाया कि पिछले दो चुनाव में मुस्लिम और दलित समाज को पुलिस के जोर पर वोट तक नहीं डालने दिया गया। लोकतंत्र के लिए ईवीएम और लोगों को वोट नहीं डालने देना खतरनाक है। उन्होंने कहा कि जो उम्मीदवार बहादुरी से संविधान और कानून पर अमल कर सकता है, वही इन चीजों को रोक सकता है। विपक्षी दलों पर प्राचा ने कहा, “हमने समर्थन मांगा था। उन्होंने ना हमें समर्थन दिया और ना मना किया। ईवीएम प्रणाली के खिलाफ आंदोलन में राजनीतिक दल साथ आते तो कुछ और बात होती लेकिन अब हमारा आंदोलन जनता के दिल में घर कर चुका है।” उन्होंने कहा कि भले ही राजनीतिक दल खुलकर साथ ना दें लेकिन हर पार्टी का वरिष्ठ नेता मानता है कि ईवीएम में कुछ तो गड़बड़ है।