भये प्रकट कृपाला दीनदयाला, कौशल्या हितकारी… की गूंज के बीच चैत्र नवमी यानी राम नवमी पर बुधवार दोपहर रामलला के अयोध्या की धरती पर आगमन का साक्षी पूरा संसार बना। ठीक जन्मोत्सव के समय रामलला का तिलक भगवान भास्कर ने किया। आस्था और विज्ञान के संगम के जरिए हुए सूर्याभिषेक के इस ऐतिहासिक पल का सीधा प्रसारण पूरी दुनिया ने दूरदर्शन के माध्यम से देखा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस पल के गवाह बने। अपनी चुनावी जनसभा में उन्होंने इसका जिक्र किया और कहा कि रामनवमी के पावन अवसर पर सूर्य की किरणें आज देश के नए प्रकाश का प्रतीक बनी हैं। वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामलला के सूर्य तिलक के बाद सबके साथ इस पल को वीडियो के जरिए साझा किया। जिला प्रशासन के मुताबिक रात 9 बजे तक 03 लाख से ज्यादा भक्त रामलला के दर्शन कर चुके थे। रामनवमी पर लगभग 15 लाख श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे जिन्होंने यहां विभिन्न मंदिरों में दर्शन पूजन किया।
रामनगरी में परंपरागत रूप से सदियों से मन रहा रामनवमी पर्व इस बार अनूठा था। लगभग 500 साल बाद पहली बार भव्य राममंदिर में रामलला का जन्मोत्सव मनाया गया। इस खास अवसर के लिए मुख्य द्वार समेत पूरा मंदिर परिसर फूलों से सजाया गया था। दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए भगवान की मंगला आरती भोर में साढ़े चार के बजाय सवा तीन बजे तड़के की गई। इसी के साथ दर्शन शुरू हो गया। साथ ही मंगला आरती के बाद विविध औषधियुक्त जल एवं पंचामृत (दूध, दही, घी, मधु व शक्कर) से वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भगवान का अभिषेक शुरू हुआ।
इसके बाद रामलला के ललाट पर रामानंदीय तिलक लगाया गया, जिसमें हीरा-पन्ना, माणिक्य व पुखराज समेत अन्य रत्नों का चूर्ण था। केसर-कुमकुम युक्त मलयागिरि चंदन भी लगाया गया। प्राकट्योत्सव पर उन्हें नया पीताम्बरी धारण कराया गया। सोने के मुकुट, कुंडल, किरीट, कर्णफूल, हाथों में कड़ा व कंठाहार से सजाया गया। बाएं कंधे पर कोदंड व दाएं में तीर धारण कराया गया।
क्या है सूर्य तिलक परियोजना
अयोध्या। सूर्य तिलक दर्पण और लेंस से युक्त एक विस्तृत तंत्र के माध्यम से किया गया। इस तंत्र के जरिए सूर्य की किरणें रामलला के माथे पर पहुंचीं। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के बाद भव्य राममंदिर में मनाई गई यह पहली रामनवमी है। सूर्य तिलक लगभग चार-पांच मिनट के लिए किया गया। मंदिर प्रशासन ने भीड़भाड़ से बचने के लिए सूर्य तिलक के समय भक्तों को गर्भगृह में प्रवेश करने से रोक दिया था। सूर्यतिलक को साकार करने वाले वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर-सीबीआरआई), रुड़की के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. डी पी कानूनगो ने बताया, योजना के अनुसार दोपहर 12 बजे रामलला का सूर्य तिलक किया गया। वैज्ञानिकों ने इस प्रणाली का परीक्षण मंगलवार को किया था।
सीएसआईआर-सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिक डॉ एस के पाणिग्रही ने बताया कि सूर्य तिलक परियोजना का मूल उद्देश्य रामनवमी के दिन रामलला के ललाट पर एक तिलक लगाना है। सूर्य तिलक परियोजना के तहत हर साल चैत्र माह में श्री रामनवमी पर दोपहर 12 बजे से भगवान राम के मस्तक पर सूर्य की रोशनी से तिलक किया जाएगा। हर साल इस दिन आकाश पर सूर्य की स्थिति बदलती है। उन्होंने कहा कि विस्तृत गणना से पता चलता है कि श्री रामनवमी की तिथि हर 19 साल में दोहरायी जाती है।
अवधपुरी में अभिषेक के भी गवाह बने भक्त
वैसे तो भगवान के अभिषेक का शास्त्रीय विधान गोपनीय है, लेकिन वर्ष में एक बार यह सौभाग्य सभी को देने का नियम आचार्यों ने तय किया है। इसलिए कैमरे के सामने सभी विधि पूरी की गईं। फिर रामलला को वस्त्र धारण कराने से लेकर नख से शिख तक स्वर्णाभूषणों से सुसज्जित करने तक की हर प्रक्रिया का दर्शन भक्तों ने किया। इस पूरी प्रक्रिया में समय लगने से सुबह सवा छह बजे की निर्धारित शृंगार आरती सुबह सात बजे शुरू हो सकी।
अवतरण के समय सूर्यदेव ने किया ललाट पर तिलक
भगवान के अवतरण के ठीक दो मिनट पहले 11:58 बजे राम मंदिर के गर्भगृह की रोशनी बंद कर दी गई और सूर्य के प्रकाश में रामलला प्रकट हुए। प्रभु के ललाट पर लगे चंदन को साफ कर दिया गया और सूर्यदेव उनके ललाट को अपने तेज के तिलक से सुशोभित करने लगे। फिर मध्याह्न 12 बजे आरती शुरू हो गई, जो करीब 12:10 बजे तक चली। इस बीच, सूर्य का प्रकाश भगवान के ललाट को 12:03 बजे तक प्रकाशित करता रहा।
प्रधानमंत्री ने किया आह्वान, खुद भी बने साक्षी
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलला के सूर्य तिलक का गवाह बनने के लिए सभी का आह्वान किया। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, दिव्य-भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद ये पहली रामनवमी है, जिसमें प्रभु श्रीराम के सूर्य तिलक का अलौकिक अवसर भी आया है। दुनियाभर के राम भक्तों से मेरा आग्रह है कि वे इस अद्भुत क्षण के साक्षी जरूर बनें। फिर वह खुद इस पल के साक्षी बने। उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर इसकी जानकारी दी। प्रधानमंत्री ने लिखा, नलबाड़ी की सभा के बाद मुझे अयोध्या में रामलला के सूर्य तिलक के अद्भुत और अप्रतिम क्षण को देखने का सौभाग्य मिला। श्रीराम जन्मभूमि का ये बहुप्रतीक्षित क्षण हर किसी के लिए परमानंद का क्षण है। ये सूर्य तिलक, विकसित भारत के हर संकल्प को अपनी दिव्य ऊर्जा से इसी तरह प्रकाशित करेगा।
मुख्यमंत्री योगी ने बताया अलौकिक पल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामलला के सूर्य तिलक को अलौकिक बताया। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह पहली रामनवमी है। इसीलिए यह खास और ऐतिहासिक है। आज रामलला के मस्तक पर सूर्य की किरणों से अभिषेक हुआ। इस मौके पर विशेष पूजा अर्चना की गई। उन्होंने एक्स पर लिखा- सत्यसंधान, निर्वानप्रद, सर्वहित, सर्वगुण-ज्ञान-विज्ञानशाली। सघन-तम-घोर-संसार-भर-शर्वरी नाम दिवसेश खर-किरणमाली॥ सूर्यकुल भूषण श्री रामलला के ललाट पर सुशोभित भव्य ‘सूर्य तिलक’ आज अखिल राष्ट्र को अपने सनातन गौरव से आलोकित कर रहा है। जय जय श्री राम!
पहली बार रामलला के पीछे मैरून पर्दा
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले उनके आसन के पीछे जिस पर्दे को लगाने की बात चल रही थी, वह प्राण प्रतिष्ठा के 86 दिनों बाद रामनवमी पर लगाया गया। इसके लिए पीछे स्टील की पाइप लगाकर पर्दे को सिलवाकर पहनाया गया। यह पर्दा मैरून रंग का है। उधर, रामनवमी पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से अलग-अलग प्रसाद का वितरण किया गया। धनिया-पंजीरी व इलायची दाना का ही ज्यादातर भक्तों को प्रसाद वितरित हुआ। हालांकि सुबह कुछ समय तक पहले लड्डू के प्रसाद का वितरण हुआ। फिर इलायची दाना और रामलला के प्राकट्य के बाद पंजीरी का प्रसाद वितरित किया गया।
रात एक बजे से ही शुरू हो गया था स्नान
सरयू नदी के एक दर्जन से अधिक घाटों पर रात एक बजे से ही रामभक्तों ने स्नान करना शुरू कर दिया था। डीएम नितीश कुमार ने बताया कि सात लाख से अधिक भक्तों ने पवित्र डुबकी लगाई, जबकि रात 9 बजे तक तीन लाख से ज्यादा भक्त दर्शन कर चुके थे। दूसरी ओर अयोध्या धाम के सात हजार से अधिक मंदिरों में रामभक्तों ने जन्मोत्सव के लिए पूजा-पाठ शुरू कर दिया था। दोपहर तक प्रमुख मंदिरों कनक भवन आदि में धूमधाम से जन्मोत्सव मनाया गया। पिछले साल रामनवमी को करीब 30 लाख श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे थे और करीब दो लाख लोगों ने रामलला के दर्शन किए थे।