भारत में वर्कप्लेस की डिमांड बढ़ रही है। यानी कंपनियों की तरफ से ऑफिस स्पेस की ज्यादा मांग आ रही है। नाइट फ्रैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में नौकरियों की आउटसोर्सिंग करने वाली मल्टीनेशनल कंपनियों के कारण यह डिमांड बढ़ रही है। वर्ल्ड कैपेसिटी सेंटर और थर्ड पार्टी के आईटी सर्विस प्रोवाइडर्स ने 2023 में कुल पट्टे में 46 फीसदी का योगदान दिया है। रियल एस्टेट एडवाइजर नाइट फ्रैंक ने अपनी रिपोर्ट ‘एशिया पैसिफिक होराइजन: हार्नेसिंग द पोटेंशियल ऑफ ऑफशोरिंग’ में कहा है कि भारत में ऑफशोरिंग इंडस्ट्री एक अग्रणी वैश्विक सेवा प्रदाता के रूप में विकसित हुई है, जिसका वैश्विक ऑफशोरिंग बाजार में 57 फीसदी हिस्सा है।
क्या है ऑफशोरिंग मार्केट
रिपोर्ट में बताया गया कि ऑफशोरिंग मार्केट में लागत बचत, विशेष कौशल और परिचालन क्षमता का लाभ उठाने के उद्देश्य से विदेश में स्थित बाहरी प्रदाताओं को व्यावसायिक प्रक्रियाओं या सेवाओं को आउटसोर्स करने वाली कंपनियां शामिल हैं। बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (BPO) के रूप में भी जाने जाने वाले ऑफशोरिंग मार्केट में वैश्विक क्षमता केंद्र (GCC) और वैश्विक व्यापार सेवा (GBS) जैसे विभिन्न मॉडल शामिल हैं। जीसीसी ऑफशोर प्लेस में कंपनियों द्वारा स्थापित इंटरनल यूनिट हैं। जबकि जीबीएस में वैश्विक स्तर पर सेवाओं की एक सीरीज प्रदान करने वाली केंद्रीकृत सेवा वितरण इकाइयां शामिल हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था में है इसका महत्वपूर्ण योगदान
रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2023 में भारत में ऑफशोरिंग इंडस्ट्री में 27.3 मिलियन वर्ग फीट (वर्ग फीट) की कुल लीजिंग वॉल्यूम देखी गई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 26 फीसदी की महत्वपूर्ण ग्रोथ है। ऑफशोरिंग में सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है, जिसमें आईटी आउटसोर्सिंग, अनुसंधान और ज्ञान प्रक्रिया आउटसोर्सिंग सहित अन्य सेवा प्रक्रिया आउटसोर्सिंग शामिल है। भारत करीब 42 फीसदी वैश्विक कंपनियों की मेजबानी करता है, जो देश से एंड-टू-एंड बिजनेस ऑफशोरिंग सॉल्यूशंस लेते हैं। ऑफशोरिंग इंडस्ट्री भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देती है।
(पीटीआई इनपुट के साथ)