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अयोध्या के राम जन्मभूमि मंदिर में रामनवमी पर रामलला का सूर्य तिलक किया गया। रामनवमी, जनवरी में हुई प्राण प्रतिष्ठा के बाद दूसरा सबसे बड़ा आयोजन होगा। इस अवसर पर भारी संख्या में भक्तों के जुटने की संभावना है। ऐसा बताया जा रहा है कि रामनवमी के अवसर पर इस बार 25 लाख से अधिक श्रद्धालु रामलला के दर्शन को आने वाले हैं। भीड़ की आशंका के मद्देनजर अयोध्या जिला प्रशासन के अधिकारी जगह-जगह पर मुस्तैद हैं। न्यूज़ 18 की रिपोर्ट की मानें तो अधिकारियों ने कहा कि पर्यटक 90 से अधिक फ्लाइट, 100 ट्रेनों और 500 बसों से अयोध्या पहुंचने वाले हैं। इसके अलावा, पुलिस ने हाई अलर्ट जारी कर दिया है। 18 अप्रैल तक वीआईपी दर्शन रद्द कर दिए हैं और सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं।
18 अप्रैल तक रद्द हुए वीवीआईपी दर्शन
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की एक अपील में कहा गया है, “प्रतिष्ठा समारोह के बाद पहली रामनवमी पर अनुमानित भीड़ को देखते हुए, यह निर्णय लिया गया है कि राम मंदिर 19 घंटे तक खुला रहेगा, जिससे श्रद्धालुओं को दर्शन का मौका मिलेगा।” ट्रस्ट ने 18 अप्रैल तक सभी विशेष दर्शन पास रद्द करते हुए वीआईपी और वीवीआईपी से 19 अप्रैल के बाद ही राम मंदिर आने की अपील की। ट्रस्ट के अधिकारियों ने कहा कि मंदिर सुबह 3.30 बजे से रात 11 बजे तक मंगला आरती से दर्शन के लिए खुला रहेगा। भगवान को चार भोग चढ़ाने के दौरान प्रत्येक में पांच मिनट के लिए पर्दे खींचे जाएंगे और बाकी समय खुले रहेंगे।
रामनवमी पर हुआ रामलला का सर्यू तिलक
बता दें रामनवमी के अवसर पर बुधवार को अयोध्या में रामलला का ‘सूर्य तिलक’ दर्पण और लेंस से युक्त एक विस्तृत तंत्र के माध्यम से किया गया। इस तंत्र के जरिए सूर्य की किरणें राम की मूर्ति के माथे पर पहुंचीं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 22 जनवरी को उद्घाटन किए गए नए मंदिर में राम मूर्ति की प्रतिष्ठा के बाद यह पहली रामनवमी है। मंदिर के प्रवक्ता प्रकाश गुप्ता ने बताया, ”सूर्य तिलक लगभग चार-पांच मिनट के लिए किया गया था जब सूर्य की किरणें सीधे राम लला की मूर्ति के माथे पर केंद्रित थीं।”
गुप्ता ने कहा, “मंदिर प्रशासन ने भीड़भाड़ से बचने के लिए सूर्य तिलक के समय भक्तों को गर्भगृह में प्रवेश करने से रोक दिया।” सीएसआईआर-सीबीआरआई, रूड़की के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. डी पी कानूनगो ने कहा, “योजना के अनुसार दोपहर 12 बजे रामलला का सूर्य तिलक किया गया।” इस प्रणाली का परीक्षण वैज्ञानिकों ने मंगलवार को किया था।
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर)-सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिक डॉ एस के पाणिग्रही ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया था,”सूर्य तिलक परियोजना का मूल उद्देश्य रामनवमी के दिन श्री राम की मूर्ति के मस्तक पर एक तिलक लगाना है। परियोजना के तहत, श्री रामनवमी के दिन दोपहर के समय भगवान राम के मस्तक पर सूर्य की रोशनी लाई जाएगी।”
उन्होंने बताया था, ”सूर्य तिलक परियोजना के तहत हर साल चैत्र माह में श्री रामनवमी पर दोपहर 12 बजे से भगवान राम के मस्तक पर सूर्य की रोशनी से तिलक किया जाएगा । हर साल इस दिन आकाश पर सूर्य की स्थिति बदलती है।” उन्होंने कहा कि विस्तृत गणना से पता चलता है कि श्री रामनवमी की तिथि हर 19 साल में दोहरायी जाती है।