Navratri Kanya Pujan 2024: चैत्र नवरात्र की 2 दिन बाद महानवमी है और कन्या पूजन के साथ देवी मां की शक्तियों को पूजने का ये महापर्व संपन्न होगा. नवरात्र का समापन कन्या पूजन के साथ होता है. अक्सर कंजिका-पूजन में हम कुंवारी कन्याओं को माता का रूप मानकर उनका पूजन करते हैं और उन्हें दान-दक्षिणा देते हैं. साथ की कन्या-पूजन की विधि एक लांगुर के बिना अधूरी मानी जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कन्या-पूजन में यदि आप एक सुहागन का पूजन कर उसे भोजन नहीं करा रहे हैं तो आपका कन्या पूजन अधूरा है? कन्या पूजन में होने वाली इस गलती के बारे में बता रहे हैं ज्योतिष व वास्तु विशेष और दस महाविद्याओं के ज्ञाता, मृगेंद्र चौधरी.
8 कुंवारी और 1 सुहागन हैं देवी
एस्ट्रोगुरू मृगेंद्र चौधरी बताते हैं, ‘अक्सर लोग कन्या पूजन में ये बड़ी गलती करते हैं. हम नवरात्र में 9 देवियों का पूजन करते हैं. इन 9 देवियों में 8 देवियां कुंवारी कन्याओं का प्रतिनिधित्व करती हैं. लेकिन 5वीं देवी यानी स्कंद माता हैं जो एक विवाहिता और पुत्रवति स्त्री को दर्शाती हैं. आपने नव-देवियों की तस्वीर देखी होगी तो उसमें 5वीं माता स्कंदमाता हैं, जिनकी बांयी जांघ पर स्कंद यानी कार्तिकेय बैठे होते हैं. स्कंदमाता भगवान शिव की पत्नी हैं और कार्तिकेय यानी स्कंद की माता हैं. इसलिए जब भी कंजिका पूजन करते हैं तब 8 कुंवारी और एक विवाहित और सुहागन महिला को भी आपको पूजना चाहिए.’
भैरव नहीं, लांगुर होता है स्कंद
कंजिका पूजन में एक लांगुर को भी बैठाया जाता है. अक्सर लोग इसे भैरव बोल देते हैं. लेकिन ये असल में स्कंद का स्वरूप होता है. यानी जब आप कंजिका पूजन करते हैं तो ये एक लड़का स्कंद (कार्तिकेय) का प्रतीक होता है. कन्या पूजन के लिए कन्याओं की बात करें तो ये 3 साल 10 साल की उम्र तक की कन्याओं का पूजन करना चाहिए. 3 साल से लेकर 10 साल तक की कन्याएं 8 देवियों का और एक सुहागन महिला 5वीं देवी स्कंद माता का प्रतीक के रूप में पूजनीय होती हैं.
स्कंदमाता के बांए पैर पर स्कंद विराजमान हैं.
कैसे करें कन्या-पूजन, जानें सही विधि
– सबसे पहले आपको सभी कन्याओं के पैर धोकर, उनका बायां (लेफ्ट) पैर अपने सिर पर रखवाकर उनका घर के भीतर प्रवेश कराना चाहिए.
– हो सके तो सभी कन्याओं को लाल आसन पर बैठाएं. आप अपने घर की उत्तर दिशा में कन्याओं को बैठाएं और उनका मुख पूर्व की तरफ होना चाहिए. या आप उन्हें पूर्व में बैठ सकते हैं और उनका मुख उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए.
– अब दीपक और धूप जलाकर उनका पूजन करें.
– इसके बाद उनका भोग लगाएं. भोग में सफेद बर्फी जरूरी होनी चाहिए. इसके साथ आप चीनी, दही, शहद, घी और गंगाजल मिलाकर मधुपरक बनाएं और इसका सेवन कन्याओं को कराएं.
– सभी कन्याओं को लाल चंदन का टीका लगाएं.
– एक मीठा पान अर्पित करें.
– इसके बाद कुंवारी कन्याओं को हरे या लाल रंग की चूड़ियां दान करें.
– जबकि स्कंदमाता को (सुहागन महिला) सिंगार का सामान दें.
– सभी को लाल चुनरी उढ़ा दे और उन्हें श्रीफल जरूर दें. श्रीफल कन्याओं को जरूर देना चाहिए, इससे आपके धन में वृद्धि होगी.
– अब कन्याओं को खीर, पूड़ी, हलवा, काला चना आदि का भोजन कराएं. हो सके तो आप इस भोजन में खीर जरूर बनाएं.
– अब सभी कन्याओं को यशा-शक्ति दक्षिणा दें.
– अगर आप चाहें तो दक्षिणा के साथ ही इन कन्याओं को आप कपड़े, इत्र, मिठाई आदि चीजें भी दान कर सकते हैं. ये सब आपकी श्रद्धा और सामर्थ पर निर्भर करता है.
– अगर कोई चाहे तो इन्हीं कन्याओं की उपस्थिति में हवन भी कराएं. हवन कुंड में नारायण मंत्र की 1008 आहुति डालें. पूरा परिवार ये हवन कर सकता है. ये हवन खीर में घी मिलकर और गुग्गल के साथ किया जाएगा. ये हवन आपके घर की हर बीमारी को नष्ट कर देगा.
एस्ट्रोगुरू मृगेंद्र चौधरी ने News18 Hindi को बताया कि देखिए इसे ऐसे समझें कि आप कन्याओं को देवी का रूप मानकर पूज रहे हैं. ये सब आपकी श्रद्धा के ऊपर है. आप उनके देवी देखेंगे तो उनका विधिपूर्वक ही पूजन करना चाहिए.
कन्या पूजन के बाद सबसे पहले सारे परिवार को बचे हुए मधुपरक का सेवन करना चाहिए.
देवी पूजन के बाद परिवार ग्रहण करे प्रसाद
कन्या पूजन के बाद सबसे पहले सारे परिवार को बचे हुए मधुपरक का सेवन करना चाहिए. इसके साथ ही जो कलश आपने नवरात्र में अपने मंदिर में रखा है, उसके जल को पूरे घर में छिड़क दें. साथ ही कलश पर रखे नारियल के जल को पूरा परिवार प्रसाद की तरह ग्रहण करे.
बरसेगी धन-लक्ष्मी
अगर कोई कन्या आपको सिक्का दे जाए, या कलश से सिक्का गिर जाए तो ये बहुत ही शुभ संकेत है. ऐसा अगर हो तो आप इसे बिना किसी से जिक्र कुए तुरंत लाल कपड़े में बांध कर अपने गल्ले में या अपनी तिजोरी में रख लें.
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FIRST PUBLISHED : April 15, 2024, 20:03 IST