मुंबई: राज ठाकरे ने गुडी पड़वा पर अपनी पार्टी की वार्षिक रैली में प्रधानमंत्री मोदी और महाराष्ट्र के महायुति गठबंधन को बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा की थी। अब आज मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने इसके पीछे का कारण साफ किया है। राज ठाकरे ने कहा, गुड़ी पड़वा के दिन हमने घोषणा की थी कि इस बार हम नरेंद्र मोदी का समर्थन करेंगे। कई लोगों ने मेरे फैसले पर सवाल उठाए। मैंने पहले 5 सालों में मोदी सरकार का विरोध किया था क्योंकि उस समय स्थिति अलग थी, लेकिन जैसे ही मोदी सरकार ने नई योजनाओं पर काम करना शुरू किया, मेरे विचार बदल गए।”
“मोदी को दोबारा पीएम बनना चाहिए”
मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने आगे कहा, धारा 370 हो, राम मंदिर हो या एनआरसी… कई दशकों से राम मंदिर का काम रुका हुआ था। उस काम को कोई पूरा नहीं कर सका लेकिन मोदी सरकार ने कर दिखाया। अगर पीएम मोदी नहीं होते तो राम मंदिर नहीं बनता। नरेंद्र मोदी को दोबारा पीएम बनना चाहिए। मोदी सरकार ने भारत की प्रगति के लिए कई अहम कदम उठाए हैं।” राज ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र के लिए जो भी योजनाएं महत्वपूर्ण होंगी हम उन्हें मोदी सरकार के सामने पेश करेंगे। पीएम मोदी ने कभी भी किसी राज्य के साथ भेदभाव नहीं किया है। वह गुजरात से हैं और उन्हें गुजरात से प्यार है, लेकिन वह सभी राज्यों के लिए सही निर्णय लेते हैं। ठाकरे ने कहा कि आज की बैठक में, मैंने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा है कि जहां भी संभव हो महायुति उम्मीदवारों का समर्थन करें।
मोदी को समर्थन देने के विरोध में मनसे नेताओं ने पार्टी छोड़ी
गौरतलब है कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के कई पदाधिकारियों ने मनसे प्रमुख राज ठाकरे के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राज्य में भाजपा नीत महायुति गठबंधन को समर्थन देने के विरोध में तीन दिन पहले पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। मनसे छोड़ने वालों में शामिल पार्टी महासचिव कीर्ति कुमार शिंदे ने सोशल मीडिया मंच फेसबुक पर अपने फैसले की जानकारी दी थी। बुधवार को सोशल मीडिया मंच पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा था कि मनसे प्रमुख ठाकरे ने 2019 में प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के खिलाफ रुख अपनाया था।
उन्होंने पोस्ट में लिखा कि आज पांच साल बाद राज साहेब ने देश के इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण क्षण में अपनी राजनीतिक भूमिका बदल ली है। राजनीतिक विश्लेषक बताएंगे कि वह कितने गलत हैं और कितने सही। उन्होंने पोस्ट में कहा, “इनदिनों नेता जब चाहें, जो चाहें राजनीतिक भूमिका निभा सकते हैं। लेकिन लड़ाके (पार्टी कार्यकर्ताओं का संदर्भ) जो उनके विचारों पर भरोसा करते हैं, कुचल दिये जाते हैं। इसका क्या?”