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उत्तर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 69000 शिक्षक भर्ती के तहत चयनित तकरीबन 35 हजार बीएड डिग्रीधारियों की नौकरी से संकट तो टल गया है लेकिन प्रशिक्षण का पेच अभी भी फंसा हुआ है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की 28 जून 2018 की अधिसूचना के आधार पर बीएड डिग्रीधारियों को प्राथमिक विद्यालयों की शिक्षक भर्ती में शामिल किया गया था। उसी अधिसूचना में यह प्रावधान था कि चयन के दो साल के अंदर बीएड डिग्रीधारियों को छह महीने का ब्रिज कोर्स अनिवार्य रूप से कराया जाएगा।
ऐसा इसलिए किया गया ताकि बीएड और डीएलएड (पूर्व में बीटीसी) के प्रशिक्षण में अंतर को दूर करते हुए बीएड डिग्रीधारियों को प्राथमिक कक्षा के बच्चों की क्षमताओं और अपेक्षाओं से अवगत कराया जा सके। उसके बाद दिसंबर 2018 में शुरू हुई 69000 शिक्षक भर्ती में बीएड को मान्य कर लिया गया और हजारों अभ्यर्थियों का चयन भी हो गया। 69000 भर्ती के पहले बैच में 31277 और दूसरे बैच में 36590 शिक्षकों को क्रमश: अक्तूबर और दिसंबर 2020 में नियुक्ति मिली थी।
एनसीटीई की गाइडलाइन के अनुसार दिसंबर 2022 तक बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों का छह महीने का ब्रिज कोर्स पूरा हो जाना चाहिए था। लेकिन समयसीमा के सवा साल बाद भी प्रशिक्षण को लेकर कोई हलचल नहीं है। यह स्थिति तब है जबकि बीएड डिग्रीधारियों को प्राथमिक शिक्षक भर्ती में अमान्य करने के राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त 2023 को मुहर लगा दी थी। उस आदेश को स्पष्ट करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 11 अगस्त 2023 के पूर्व नियुक्त शिक्षकों की नौकरी पर खतरा नहीं है। लेकिन यह सवाल आज भी बना हुआ है कि छह महीने का अनिवार्य प्रशिक्षण कराया जाएगा या नहीं।