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आईआईटी आईएसएम ने पीएचडी कोर्स के मैनुअल (न्यूनतम मानक और प्रक्रियाएं) में संशोधन किया है। सीनेट की बैठक से मंजूरी मिलने के बाद अधिसूचना जारी कर दी गई है। पीएचडी कोर्स की पढ़ाई अब छह वर्ष में पूरी करनी होगी। अतरिक्त दो वर्ष मिलेंगे। पीएचडी कोर्स की कुल अवधि एडमिशन की तारीख से आठ वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। पीएचडी कार्यक्रम को पूरा करने के लिए, संस्थान के नियमों के अनुसार उनके विस्तार/पुन: पंजीकरण प्रक्रिया के पूरा होने के बाद दिया जा सकता है।
बताते चलें कि पूर्व में सात वर्ष में पूरी करनी पड़ती थी। एक वर्ष अतिरिक्त मिलता था। 4 वर्ष/8 सेमेस्टर की स्नातक डिग्री के बाद पीएचडी में एडमिशन चाहने वाले छात्र-छात्राओं के लिए, न्यूनतम कुल प्रतिशत ग्रेड 75 फीसदी के बराबर होनी चाहिए। एससी/एसटी/ओबीसी (एनसीएल)/पीडब्ल्यूडी/ईडब्ल्यूएस श्रेणी से संबंधित अभ्यर्थियों को 5 फीसदी अंक या इसके समकक्ष ग्रेड की छूट दी जा सकती है। महिला व दिव्यांग को दो वर्ष की छूट है।
UGC NET स्कोर से ले सकेंगे पीएचडी में दाखिला
यूजीसी नेट स्कोर का उपयोग छात्र विभिन्न विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षाओं के स्थान पर पीएचडी डिग्री कोर्स में दाखिले के लिए कर सकते हैं। यूजीसी नेट कैटेगरी 2 और 3 (नीचे देखें) में क्वालिफाई करने वाले उम्मीदवारों को पीएचडी में प्रवेश के लिए टेस्ट स्कोर के लिए 70 वेटेज और साक्षात्कार के लिए 30 वेटेज दिया जाएगा। यूजीसी सचिव प्रोफेसर मनीष आर जोशी ने बताया कि पीएचडी के लिए एक राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा से छात्रों को मदद मिलेगी। यूजीसी के इस फैसले के बाद छात्रों को अब विभिन्न संस्थानों द्वारा आयोजित कई पीएचडी प्रवेश परीक्षाओं में बैठने की आवश्यकता नहीं होगी।
यूजीसी नेट परीक्षा में प्रदर्शन के आधार पर इन तीन कैटेगरी में विद्यार्थियों को बांटा जाएगा। निम्न 3 कैटेगरी में पात्र होंगे यूजीसी नेट छात्र-
कैटेगरी 1 में वे उम्मीदवार होंगे जो पीएचडी में एडमिशन, जेआरएफ और असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति तीनों के लिए पात्र होंगे।
कैटेगरी 2 में वे उम्मीदवार होंगे जो पीएचडी में एडमिशन और असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र होंगे।
कैटेगरी 3 में जो उम्मीदवार होंगे वे सिर्फ पीएचडी में दाखिले के लिए पात्र होंगे।