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सपा प्रमुख अखिलेश यादव के माफिया मुख्तार अंसारी की मौत पर शोक संवेदना व्यक्त करने गाजीपुर जाने पर पूर्व डीजीपी और भाजपा के राज्यसभा सांसद बृजलाल ने बड़ा हमला बोला है। बृजलाल ने अखिलेश यादव को उन्हीं के अभियान पीडीए को लेकर घेरा। कहा कि अखिलेश पिछड़ा, दलित की बात करते हैं तो गाजीपुर में ही दलित विश्वनाथ राम मुनीब के यहां भी चले जाते। उस विश्वनाथ राम के घर जिसकी हत्या मुख्तार अंसारी ने केवल इसलिए कर दी थी क्योंकि मान्यवर कांशीराम ने उसे टिकट दे दिया था। बृजलाल ने आरोप लगाया कि मुख्तार अंसारी ने गाजीपुर में ही दर्जनों लोगों की हत्याएं कीं या कराईं थी। इन लोगों के घर भी अखिलेश यादव एक बार चले जाते।
पूर्व डीजीपी रहे बृजलाल कभी मायावती के बेहद खास अधिकारियों में से एक थे। बाद में उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर ली और भाजपा ने राज्यसभा भेज दिया था। बृजलाल ने कहा कि अखिलेश यादव शोक संवेदना व्यक्त करने मुख्तार अंसारी के घर गए थे। वह मुख्तार अंसारी जिसने दो दर्जन से ज्यादा लोगों की हत्या की। उसे आठ मामलों में सजा हो गई। इनमें दो मामलो में उम्रकैद भी हुई है
बृजलाल ने कहा कि अखिलेश पीडीए की बात करते हैं। अखिलेश गाजीपुर गए थे तो दलित विश्वनाथ राम के घर भी चले गए होते। वह विश्वनाथ राम जिसे मान्यवर कांशीराम ने 1993 में गाजीपुर सदर विधानसभा सीट से टिकट दिया था। उस समय मुख्तार अंसारी भी टिकट मांग रहा था लेकिन उसको नहीं दिया गया था। चुनाव से ठीक एक दिन पहले विश्वनाथ राम की गोली मारकर हत्या कर दी गई। उनका दोष केवल इतना था कि मुख्तार अंसारी को टिकट नहीं मिला और वह चुनाव लड़ गया। उसके बाद कांशीराम ने एक यादव जी को टिकट दिया। वह भी मुख्तार अंसारी के डर से बैठ गए। 1994 में चुनाव हुआ तो राजबहादुर जीते।
बृजलाल ने आरोप लगाया कि मुख्तार अंसारी ने नंद किशोर राय नंदू बाबू, कृष्णानंद राय, सिपाही रघुवंश राय, सिपाही सतीश कुमार, राजेंद्र राय हवलदार, हवलदार टुनटुन राय की हत्याएं कीं। अकेले गाजीपुर में उसने राजेश राय, रमेश राय, अवधेश राय, सच्चिदानंद राय, कपिलदेव राय, जनई-मनई यादव ऐसे दर्जनों नाम हैं जिनकी हत्याएं मुख्तार अंसारी ने की या कराई।
बृजलाल ने कहा कि आतंकवादियों के मुकदमें वापस लेने वाली समाजवादी पार्टी तुष्टिकरण के लिए किसी भी सीमा तक गिर सकती है। अखिलेश को दर्जनों लोगों की विधवाओं और बच्चों के चीत्कार सुनाई नहीं पड़ती। आतंकियों के मुकदमें वापस लेने वाले वोट बैंक के लिए किसी भी सीमा तक गिर सकते हैं। रामपुर सीआरपीएफ़ ग्रूप सेंटर पर हमला करके 7 जवानों की हत्या करने वालों में शामिल हाफिज सईद, लश्कर-ए-तैयाब के मोहम्मद फारुख और इमरान शहजाद पाकिस्तानी थे। इनके मुकदमे अखिलेश ने अपनी सरकार में 2013 में वापस लिये थे।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस अग्रवाल और जस्टिस मौर्य ने आतंकियों के 14 आरोपपत्र वापसी पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि आज आप आतंकियों के मुकदमें वापस ले रहे हैं, कल उन्हें पद्मविभूषण दे सकते है। अखिलेश मुकदमें वापस नहीं ले पाए, अदालतों में ट्रायल हुए और उन्हें फांसी से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो गई। जो राजनेता आतंकियों को खुला समर्थन देता हो, वह तुष्टिकरण की किसी सीमा तक गिर सकता है।
गौरतलब है कि बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी की 28 मार्च को हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। परिवार वालों ने जहर देकर मारने का आरोप लगाया था। सपा प्रमुख अखिलेश यादव रविवार को शोक संवेदना व्यक्त करने के लिए मुख्तार अंसारी के घर गए थे। अखिलेश ने मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी को इस बार टिकट भी दिया है। अफजाल फिलहाल बसपा से सांसद भी हैं।