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माफिया मुख्तार अंसारी की गरीबों के बीच राबिनहुड वाली छवि के चलते सियासी दल उससे हमदर्दी जता रहे हैं। इसमें सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव सबसे आगे हैं, जो उनकी मौत की न्यायिक जांच की मांग कर रहे हैं। उनकी निगाह पूर्वांचल में मुख्तार के प्रभाव वाले इलाकों में उसको मानने वाले वोटरों पर है। खासतौर पर मुस्लिम वोटरों के लिए सपा समेत कई क्षेत्रीय दल उसके नाम पर वोटरों को लुभाने की कोशिश में हैं।
अखिलेश यादव ही नहीं सुभासपा व निषाद पार्टी भी मुख्तार के प्रति हमदर्दी जताते हुए उसे गरीबों का मसीहा बता रही है। सुभासपा को भाजपा ने घोसी सीट दी है, जहां मुख्तार का अच्छा प्रभाव माना जाता है। यही नहीं असदुद्दीन ओवैसी, स्वामी प्रसाद मौर्य, आजमगढ़ से सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव भी उसको श्रद्धांजलि देने गाजीपुर जा चुके हैं।
कभी मुख्तार की इंट्री रोकी थी अखिलेश ने
सपा की मुख्तार अंसारी परिवार से नजदीकी 2022 से पहले शुरू हो गई थी। मुख्तार व उसके परिवार से सपा की नजदीकी 2021 में बढ़ने लगी। एक वक्त था कि मुख्यमंत्री रहते अखिलेश यादव ने मुख्तार के परिवार की सपा में इंट्री रोक दी थी। यह बात 2016 की है। इससे पहले 2011 में उन्होंने डीपी यादव के सपा में शामिल होने का विरोध किया और मुलायम व शिवपाल के चाहने के बावजूद डीपी यादव सपा में नहीं आ सके लेकिन इसके बाद अखिलेश यादव मुख्तार परिवार की पूर्वांचल के कुछ हिस्सों में पकड़ को देखते हुए सहयोग लेने में गुरेज नहीं किया। गाजीपुर, घोसी, वाराणसी, जौनपुर, लालगंज, मऊ, बलिया व आजमगढ़ समेत कुछ सीटों पर इस परिवार का मुस्लिम वर्ग में अच्छा प्रभाव माना जाता है। इसी असर के कारण केवल अखिलेश यादव ही नहीं अन्य क्षेत्रीय नेता भी उनके प्रति समर्थन जता रहे हैं।
बेटा सुभासपा से तो भतीजा सपा से विधायक
वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव की सपा व ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा ने गठबंधन किया। इसके तहत मुख्तार अंसारी की मऊ सीट सुभासपा के खाते में आई। सुभासपा के टिकट पर मुख्तार अंसारी का बेटा अब्बास अंसारी चुनाव विधायक हो गए जबकि मुख्तार के भाई सिगबगतुल्ला के बेटे सुहैब अंसारी मोहम्मदाबाद सीट से सपा विधायक हैं।