कांग्रेस के 6 बागियों में शामिल रहे सुधीर शर्मा ने शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को मानहानि का नोटिस भेजा है। बागी नेता सुधीर शर्मा ने सीएम सुक्खू से मानहानि में 5 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की है। बता दें कि इससे एक दिन पहले सीएम सुक्खू ने ये दावा किया था कि कांग्रेस के 6 बागी विधायक और 3 निर्दलीय विधायक 15-15 करोड़ रुपये में बिके थे। सुक्खू के इस बयान के बाद सुधीर शर्मा ने यह नोटिस भेजा है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने क्या कहा था?
गौरतलब है कि राज्य के ऊना जिले में एक रैली के दौरान सुक्खू ने गुरुवार को कहा था कि कांग्रेस के बागी भ्रष्ट हैं और सलाखों के पीछे जाएंगे। उन्होंने कहा था कि हमारे पास पैसा नहीं है, लेकिन हमारे पास ईमानदारी, नैतिकता और लोगों का समर्थन है। सुक्खू ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस के 6 बागी और 3 निर्दलीय विधायक 15-15 करोड़ रुपये में बिक गए। उन्होंने कहा था, ‘‘हमारे पास सबूत हैं, क्योंकि पुलिस जांच में तथ्य सामने आने लगे हैं और उन्हें सबक सिखाने का समय आ गया है।’’ मुख्यमंत्री ने यह बयान 27 फरवरी के राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में मतदान करने वाले कांग्रेस के 6 और तीन निर्दलीय विधायकों के खिलाफ दिया था। ये विधायक बाद में भाजपा में शामिल हो गए थे।
कांग्रेस ने 6 बागियों को किया अयोग्य घोषित
बता दें कि भाजपा ने विधानसभा उपचुनाव के लिए कांग्रेस के 6 बागी विधायकों को उनके संबंधित विधानसभा क्षेत्रों से टिकट दिए हैं। बजट प्रस्ताव पर मतदान के दौरान विधानसभा में उपस्थित रहने और सरकार के पक्ष में मतदान करने संबंधी व्हिप का उल्लंघन करने को लेकर कांग्रेस ने इन 6 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था। पुलिस ने निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा (हमीरपुर) और कांग्रेस के बागी चैतन्य शर्मा (गगरेट) के पिता राकेश शर्मा और अन्य के खिलाफ “चुनावी अपराध”, रिश्वतखोरी और आपराधिक साजिश के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की थी।
मानहानि नोटिस में क्या लिखा?
पूर्व मंत्री और धर्मशाला विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार सुधीर शर्मा की ओर से भेजे गए नोटिस में कहा गया कि मुख्यमंत्री के बयान और भाषण झूठे, अपमानजनक और मानहानिकारक हैं, जिनमें कोई तथ्य नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ये बयान वीडियो और समाचार-पत्रों के माध्यम से व्यापक रूप से प्रसारित हुए हैं, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है, खासकर ऐसे समय में जब वह उपचुनाव लड़ रहे हैं। इसमें कहा गया, “मुख्यमंत्री के भाषणों में न तो रत्ती भर सच्चाई है और न ही उनके पास जनता के बीच दिए गए कथित झूठे बयानों का कोई सबूत है।” नोटिस में कहा गया, “यदि उचित अवधि के भीतर आपके द्वारा तत्काल और उपचारात्मक कार्रवाई नहीं की जाती है, तो झूठ और दुर्भावनापूर्ण प्रचार के लिए सक्षम न्यायालय में दीवानी और आपराधिक कार्यवाही शुरू की जाएगी।”
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