जसपाल सिंह/फतेहाबाद. “कौन कहता है आसमां में छेद नहीं होता, जरा एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों” .जी हां जब मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो बड़ी से बड़ी मुश्किलें भी आसान नजर आने लगती है. ऐसा ही कुछ हाई जम्पर पूजा ने महज 16 साल की उम्र में कर दिखाया है. हरियाणा के फतेहाबाद के गांव पारता की रहने वाली पूजा ने हाल ही में कोरिया में आयोजित 20वीं एशियाई अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता है. इस खिलाड़ी ने 1.82 मीटर का अपना बेस्ट अटैम्पट किया और रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया. इस अटैम्पट के साथ पूजा ने अंडर-18 और अंडर-20 नेशनल रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया.
पूजा की इस उपलब्धि पर उनके पिता हंसराज काफी खुश हैं. महज रोजाना 500 रुपये की दिहाड़ी पर मजदूरी करने वाले पिता हंसराज को उस खेल के बारे में कुछ पता भी नहीं है जिसमें उनकी बेटी ने कमाल कर दिखाया है. पूजा के कोच बलवान सिंह ने पूजा में कुछ देखा कि उसे नेशनल लेवल की प्रतियोगिता तक पहुंचा दिया है.
देशी जुगाड़ से बना था जम्पिंग पिट
पूजा के सफलता की कहानी साल 2017 से शुरू होती है. जब वो अपने पिता के साथ एक सरकारी एकेडमी में योगा सीखने गई थी. फिजिकल टेस्ट के दौरान कोच बलवान ने महसूस किया कि उसके पैर काफी मजबूत हैं. कोच ने पूजा को ट्रायल दिलवाने के बारे में सोचा लेकिन राह में मुश्किलें कम नहीं थी. प्रैक्टिस के लिए पूजा के पास जम्पिंग पिट नहीं था. पूजा के कोच ने पिट का देशी जुगाड़ किया. उन्होंने मैदान की घास, पराली और थर्माकोल से भरकर पूजा के लिए जम्पिंग पिट बनाया, इसके अलावा उन्होंने बांस की लकड़ी को बार के रूप में इस्तेमाल किया. इसी तरह पूजा ने हाई जम्प की बारीकियां सीखीं.
महज 3 महीने में फॉस्बरी फ्लॉप में हासिल की महारत
तकरीबन एक साल तक पूजा ने इसी तरह अभ्यास जारी रखा. अभ्यास के दौरान पूजा को काफी बार चोटें भी लगी लेकिन इन मुश्किलों को नजरअंदाज करते हुए पूजा ने सफलता की सीढ़ियां चढ़ी. कोच बलवान ने बताया कि पूजा में एक खूबी है कि वो हर चीज़ जल्दी सीखती है. 12 साल की उम्र में पूजा को फॉस्बरी फ्लॉप सिखाया गया था. “फॉस्बरी फ्लॉप” हाई जंप को पार करने की एक कूदने वाली शैली है. जिसमें पीठ के बल ‘बार’ को पार किया जाता है. कोच बलवान ने बताया कि पूजा महज इसे तीन महीने में सीख गई थी.
कोच के दोस्त ने किया था जम्पिंग पिट गिफ्ट
पूजा को जुगाड़ से प्रैक्टिस करते देख हनुमान नाम के व्यक्ति ने पूजा को एक पिट गिफ्ट किया. हनुमान कोच बलवान के दोस्त और जाने-माने जैवलिन थ्रो के कोच हैं हालांकि पूजा अभी भी बार के लिए बांस की लकड़ी का इस्तेमाल करती है. पूजा लक्ष्य है कि वो ओलंपिक और कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल हासिल कर प्रदेश और देश का नाम रोशन करें.
कोच बलवान की मांग
कोच बलवान के अनुसार पूजा हाई जम्प में दो बार नेशनल खेल चुकी हैं और देश के लिए सिल्वर और गोल्ड मेडल भी हासिल कर चुकी है . बावजूद इसके सरकार और प्रशासन तरफ से कोई प्रोत्साहन या किसी प्रकार की मदद पूजा को नहीं मिली है. खिलाड़ी पूजा और उसके कोच ने प्रशासन से खेल संबंधित सुविधाओं की मदद मांग की है ताकि पूजा और अधिक प्रेक्टिस कर खेल जगत में देश-प्रदेश का नाम रोशन कर सके. गांव के रहने वाले अजय कुमार का कहना है की पूजा एक श्रेष्ठ खिलाड़ी है और प्रशासन के सहयोग से रिकार्ड तोड़ कामयाबी हासिल कर सकती है .
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FIRST PUBLISHED : June 24, 2023, 16:14 IST