काठमांडू: नेपाल और भारत का संबंध रोटी और बेटी का कहा जाता है। दोनों देशों में अब तक बेरोक-टोक आवाजाही रही है। मगर अब दोनों देश सीमा सुरक्षा को लेकर गंभीर हो गए हैं। ऐसे में दोनों पक्षों के प्रतिष्ठित व्यक्तियों के समूह (ईपीजी) द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई रिपोर्ट को लागू करना चाहिए। सत्तारूढ़ पार्टी की एक वरिष्ठ नेता ने बुधवार को यह जानकारी दी। सत्तारूढ़ सीपीएन-माओवादी सेंटर की उपाध्यक्ष पम्फा भुसाल ने कहा, ‘‘क्योंकि ईपीजी रिपोर्ट में नेपाल और भारत के बीच खुली सीमा को विनियमित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है, इसलिए इसे लागू करना जरूरी हो गया है।
’’ ललितपुर जिले में ‘संप्रभुता, सीमा और जल’ नामक एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व जल संसाधन मंत्री ने कहा कि नेपाल और भारत के लिए रिपोर्ट प्राप्त करना आवश्यक है क्योंकि यह दोनों पक्षों के वरिष्ठ विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई है। यह रिपोर्ट 2018 में विविध पृष्ठभूमि वाले नेपाल और भारत के आठ सदस्यों की एक समिति द्वारा तैयार की गई थी, जिसका उद्देश्य 1950 की नेपाल-भारत मैत्री संधि सहित द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा करना था।
नेपाल-भारत की दोस्ती के बीच अब उठाए जा सकते हैं ठोस कदम
भुसाल ने कहा कि यदि भारत सरकार रिपोर्ट हासिल करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाती है, तो नेपाल सरकार को इस दिशा में पहल करनी चाहिए। यदि दोनों देश रिपोर्ट को स्वीकार नहीं करते हैं तो ईपीजी रिपोर्ट में दिए गए सुझावों को लागू नहीं किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि नेपाल को अधिक से अधिक बिजली उत्पादन कर इसका लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि जल संसाधनों का उचित इस्तेमाल किया जाये तो नेपाल समृद्ध हो सकता है। (भाषा)
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