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बरेली में हुए 2010 के दंगा के मास्टर माइंड आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खां ने हाईकोर्ट के आदेश पर भी कोर्ट में सरेंडर नहीं किया। इस पर जिला जज विनोद कुमार की अदालत ने 82 सीआरपीसी की कार्यवाही कर मौलाना को भगोड़ा घोषित किया है। कोर्ट ने इस दंगा प्रकरण में पांच अन्य आरोपियों के भी गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं। बरेली शहर में दो मार्च 2010 में जुलूस ए मोहम्मदी के दौरान दंगा हुआ था। दंगे में तत्कालीन सीओ आंवला पीएस पांडेय, एसओ भमोरा राजेश तिवारी समेत अन्य पुलिसकर्मी और तमाम लोग गंभीर रूप से घायल हुए। इस मामले में प्रेमनगर के तत्कालीन इंस्पेक्टर करन सिंह ने दो मार्च 2010 को 178 नामजद समेत हजारों दंगाइयों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई।
विवेचना में मौलाना तौकीर रजा खां का नाम प्रकाश में आया और आठ मार्च 2010 को पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया और फिर नाटकीय घटनाक्रम के तहत 11 मार्च 2010 को उसे रिहा कर दिया गया। इस दंगा केस की सुनवाई के दौरान फास्ट ट्रैक प्रथम रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट विवेचना का स्वत: संज्ञान लेकर मौलाना तौकीर रजा खां को दंगे का मुख्य आरोपी मानते हुए तलब करने के आदेश दिए। सम्मन तामील न होने पर कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिए। इस पर मौलाना ने हाईकोर्ट की शरण ली तो उसे उसे 27 मार्च तक ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने के आदेश दिए गए।
मगर इस आदेश के बाद भी मौलाना सरेंडर करने नहीं पहुंचा। सोमवार को जिला जज की कोर्ट में इस केस की सुनवाई होनी थी। डीजीसी क्राइम सुनीति कुमार पाठक ने बताया कि गिरफ्तारी वारंट पर कोर्ट में हाजिर न होने पर जिला जज की कोर्ट ने मौलाना के खिलाफ धारा 82 सीआरपीसी की कार्यवाही करते हुए उसे भगोड़ा घोषित किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने इस मुकदमे में गैर हाजिर चल रहे पांच अन्य दंगारोपियों के भी गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं। मामले में अगली सुनवाई के लिए आठ अप्रैल की तारीख नियत की गई है।