फाइनल मुकाबले के गेम 1 और गेम 2 का बिना किसी नतीजे ड्रा रहने के बाद शतरंज विश्व कप का फाइनल में भारतीय शतरंज के ग्रैंडमास्टर रमेशबाबू प्रज्ञानानंदा और दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन के बीच चैंपियन का फैसला शुक्रवार को टाई ब्रेकर के जरिए होगा. मंगलवार को हुए पहले गेम में सफेद मोहरों से खेल रहे 18 साल प्रज्ञानानंदा ने 32 साल के कार्लसन को कड़ी टक्कर दी और दोनों खिलाड़ियों ने 35 चालों के बाद हाथ मिलाया. दूसरी ओर, गेम 2 में भी ऐसा ही निष्कर्ष देखने को मिला, क्योंकि दोनों खिलाड़ी केवल 30 चालों के बाद ड्रॉ पर सहमत हुए.
प्रज्ञानानंदा और कार्लसन दोनों पहली बार शतरंज विश्व कप में आमने-सामने आए हैं. प्रज्ञानानंदा 18 साल की उम्र में अब तक के सबसे कम उम्र के फाइनलिस्ट हैं, जबकि 32 वर्षीय कार्लसन भी इस स्तर पर अपने पहले खिताब का पीछा कर रहे हैं.
अगर प्रज्ञानानंदा फाइनल के विजेता बनते हैं तो उन्हें लगभग 90,93,551 ($110k) रुपये मिलेंगे, जबकि उपविजेता को लगभग 66,13,444 ($80) रुपये मिलेंगे. टूर्नामेंट का कुल पुरस्कार पूल लगभग 1,51,392,240 रुपये है.
कार्लसन ने भारतीय प्रतिभाशाली खिलाड़ी प्रज्ञानानंदा के साथ क्लासिकल शतरंज की पहली बाजी 35 चालों के बाद ड्रा कराई. दूसरा गेम भी टाई पर समाप्त हुआ है तो आज यानी गुरूवार को इस वर्ष के शतरंज विश्व कप फाइनल के विजेता का फैसला करने के लिए रैपिड शतरंज के दो गेम खेले जाएंगे.
आर प्रज्ञानानंदा को शतरंज का चैंपियन बनाने के लिए उसके माता-पिता ने उसे टीवी से दूर रखा और आज 18 साल की उम्र में प्रज्ञानानंदा अब 64 खानों के इस खेल का नया बादशाह बनने की राह पर है.
शतरंज के इस खेल में 18 वर्षीय प्रज्ञानानंदा को पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद का उत्तराधिकारी माना जा रहा है और उन्होंने बाकू में चल रहे फिडे विश्व कप में शानदार प्रदर्शन करके इसे सही साबित भी किया है.
आनंद के बाद प्रज्ञानानंदा दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं, जिन्होंने कैंडिडेट टूर्नामेंट में जगह बनाई है. दो गेम टाई रहने के बाद प्रज्ञानानंदा की किस्मत का फैसला शुक्रवार को ट्राई ब्रेकर गेम से होगा.
प्रज्ञानानंदा ने साढ़े चार साल की उम्र से शतरंज खेलना शुरू किया था तथा अपने करियर में वह अभी तक कई उपलब्धियां हासिल कर चुके हैं. पिछले साल उन्होंने विश्व के नंबर एक खिलाड़ी और पूर्व क्लासिकल चैंपियन मैगनस कार्लसन को एक ऑनलाइन टूर्नामेंट में हराया था. प्रज्ञानानंदा ने अब तक दिखाया है कि वह दबाव झेलने और खेल के चोटी के खिलाड़ियों को हराने में सक्षम हैं.
भारतीय शतरंज के गढ़ चेन्नई के रहने वाले प्रज्ञानानंदा ने छोटी उम्र से ही इस खेल में नाम कमाना शुरू कर दिया था. उन्होंने राष्ट्रीय अंडर सात का खिताब जीता और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. वह 10 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय मास्टर और उसके दो साल बाद ग्रैंड मास्टर बन गए थे. प्रज्ञानानंदा ने 2019 में 14 साल और तीन महीने की उम्र में अपनी ईएलओ रेटिंग 2600 पर पहुंचा दी थी.
कोविड-19 के दौर में उन्होंने ऑनलाइन टूर्नामेंट में अपना जलवा दिखाया. उन्होंने 2021 में मेल्टवॉटर चैंपियंस टूर में सर्गेई कारजाकिन, तैमूर राडजाबोव और जान क्रिजिस्टॉफ डूडा जैसे शीर्ष खिलाड़ियों को हराया जबकि कार्लसन को बराबरी पर रोका.
प्रज्ञानानंदा ने वर्ष 2022 में एयरथिंग मास्टर्स रैपिड टूर्नामेंट में कार्लसन को हराया. इस तरह से वह आनंद और हरिकृष्णा के बाद कार्लसन को हराने वाले तीसरे भारतीय खिलाड़ी बने. इसके बाद वह विभिन्न टूर्नामेंट में अपनी छाप छोड़ते रहे. प्रज्ञानानंदा को आनंद की तरह शुरू से ही अपने परिवार विशेषकर अपनी मां का साथ मिला. उनकी मां नागालक्ष्मी प्रत्येक टूर्नामेंट के दौरान उनके साथ रहती है जिसका इस युवा खिलाड़ी को भावनात्मक लाभ मिलता है.
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