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कैंट में कटाई पुल के पास वर्ष 2004 में बाहुबली मुख्तार अंसारी और कृष्णानंद राय के बीच आमने-सामने गोलियां चली थी। दोनों अपने-अपने काफिले के साथ जा रहे थे। कटाई पुल पर काफिला एक दूसरे के पास पहुंच गया। इस दौरान मुख्तार के एक शूटर ने कृष्णानंद राय को काफिले की गाड़ियों में देख लिया था।
जैसे ही यह बात मुख्तार तक पहुंची, दोनों के काफिल रुक गये और उनमें बैठे लोगों ने एक दूसरे पर फायरिंग शुरू कर दी। इस घटना के समय मुख्तार और कृष्णानंद राय दोनों लोग विधायक थे। दोनों लोग इस गैंगवार में बाल-बाल बच गये थे। उस समय कहा गया था कि कृष्णानंद इस घटना में मुख्तार पर भारी पड़े थे।
तय हो गया था कि मुख्तार इसका बदला लेगा
इस फायरिंग के बाद कृष्णानंद को भी लगने लगा था कि मुख्तार आगे बदला लेगा। मुख्तार के ही एक करीबी ने दावा किया कि तब ही अपराध जगत में यह चर्चा होने लगी थी कि मुख्तार जल्दी ही कृष्णानंद से इस हमले का बदला लेगा। हुआ भी यही। इसके एक साल बाद यानि वर्ष 2005 में कृष्णानंद राय को गाड़ी के अंदर भून दिया गया था। कृष्णानंद राय अपने सात सुरक्षाकर्मियों के साथ गाड़ी के अंदर से निकल तक नहीं पाये थे। हमलावरों ने 500 से अधिक राउण्ड फायरिंग की थी। इस हमले में संजीव माहेश्वरी जीवा था। इस हत्या की साजिश रचने में मुख्तार का नाम आया था।
जीवा के मर्डर ने मुख्तार की नींद उड़ा दी थी, पहली बार देखा गया था इतनी दहशत में
कैंट कोतवाली में दर्ज हुई थी एफआईआर
उस समय दोनों पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ जानलेवा हमले की एफआईआर दर्ज करायी थी। आलम यह था कि तब विवेचक साहस नहीं जुटा पा रहे थे कि मुख्तार का बयान कैसे लिया जाये। मुख्तार जब विधायक निवास आये तब विवेचक भारी सुरक्षा के साथ उसका बयान लेने गये थे।